सुखदेव सिंह अहिलेश्वर के छत्तीसगढ़ी गज़ल
गज़ल
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
चार दिन बचपना हे माफी मा
शेष जिनगी हिसाब कापी मा
आज उड़ ले अगास भर तोरे
कल समाना हे पाँव माटी मा
तोर लठिया अभी हे अँटियाले
एक दिन फुटही मूड़ लाठी मा
सोच के देख कोन ला भाही?
रोज कोदो दरइ हा छाती मा
कोइला राख कङ्गला करही
देख होरा भुँजइ ह छानी मा
चार पइसा किंजर कमा डारे
खोज डारे तैं खोट साथी मा
धरले सुखदेव सत के धारन ला
बइठना हे समय के चाकी मा
गज़ल
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
संगवारी असाढ़ आगे हे
श्याम रंगी बदरिया छा गे हे
हारे हपटे गिरे थके झुलसे
फेर उल्हे के आस जागे हे
चैत बैसाख जेठ के झोला
तोर अगोरा करत सहागे हे
तँय झमाझम बने बरस आँसो
पउर मुड़ मा फिकर बसा गे हे
बूड़ झन जाय अब उबारव गा
भुँइ के भगवान अकबका गे हे
छेना लकड़ी जतन मगन बैठे
छानी परवा खदर छवा गे हे
तोर कर हे परोस ज्ञान अमरित
मंद-मउहा इहाँ बँटा गे हे
कर दे सहयोग बाँच जाहूँ मँय
हाथ पखना तरी चपा गे हे
अरतता अरतता अमरवाणी
आज सुखदेव ला सुना गे हे
गज़ल
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
गोठियइया गजब हवैं भइया
पाँच सच्चा पचीस भरमइया
आदमी ला चरात हें अइसे
जस चराथे ग बरदिहा गइया
घाट भर हें बुड़ोय बर डोंगा
एक दुइ चार पार नहकइया
दे पँदोली चढ़ात हें बिरले
कोरी खइखा हें टाँग खींचइया
गाय गरुवा गली म घूमत हे
चैन के नींद सोय गोसइया
माँग के वोट मोठ ओ हो गे
रोज दुबराय वोट देवइया
नानपन के खियाल कर बेटा
तब समझबे ग कोने सम्हरइया
टोक दे थें सहीं करइया ला
पर गलत के न एक बरजइया
देख सुखदेव मूँद झन आँखी
जान चिन्ह ले छुड़इया अरझइया
-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गज़ल
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
चार दिन बचपना हे माफी मा
शेष जिनगी हिसाब कापी मा
आज उड़ ले अगास भर तोरे
कल समाना हे पाँव माटी मा
तोर लठिया अभी हे अँटियाले
एक दिन फुटही मूड़ लाठी मा
सोच के देख कोन ला भाही?
रोज कोदो दरइ हा छाती मा
कोइला राख कङ्गला करही
देख होरा भुँजइ ह छानी मा
चार पइसा किंजर कमा डारे
खोज डारे तैं खोट साथी मा
धरले सुखदेव सत के धारन ला
बइठना हे समय के चाकी मा
गज़ल
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
संगवारी असाढ़ आगे हे
श्याम रंगी बदरिया छा गे हे
हारे हपटे गिरे थके झुलसे
फेर उल्हे के आस जागे हे
चैत बैसाख जेठ के झोला
तोर अगोरा करत सहागे हे
तँय झमाझम बने बरस आँसो
पउर मुड़ मा फिकर बसा गे हे
बूड़ झन जाय अब उबारव गा
भुँइ के भगवान अकबका गे हे
छेना लकड़ी जतन मगन बैठे
छानी परवा खदर छवा गे हे
तोर कर हे परोस ज्ञान अमरित
मंद-मउहा इहाँ बँटा गे हे
कर दे सहयोग बाँच जाहूँ मँय
हाथ पखना तरी चपा गे हे
अरतता अरतता अमरवाणी
आज सुखदेव ला सुना गे हे
गज़ल
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
गोठियइया गजब हवैं भइया
पाँच सच्चा पचीस भरमइया
आदमी ला चरात हें अइसे
जस चराथे ग बरदिहा गइया
घाट भर हें बुड़ोय बर डोंगा
एक दुइ चार पार नहकइया
दे पँदोली चढ़ात हें बिरले
कोरी खइखा हें टाँग खींचइया
गाय गरुवा गली म घूमत हे
चैन के नींद सोय गोसइया
माँग के वोट मोठ ओ हो गे
रोज दुबराय वोट देवइया
नानपन के खियाल कर बेटा
तब समझबे ग कोने सम्हरइया
टोक दे थें सहीं करइया ला
पर गलत के न एक बरजइया
देख सुखदेव मूँद झन आँखी
जान चिन्ह ले छुड़इया अरझइया
-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर