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Monday 1 July 2019

छ्त्तीसगढ़ी गज़ल - ज्ञानुदास मानिकपुरी

छ्त्तीसगढ़ी गज़ल - ज्ञानुदास मानिकपुरी (1)

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

बहर-2122-1212-22

चारो' मूड़ा बवाल होवत हे।
आनी' बानी धमाल होवत हे।

कोन आसो चुनाव जीतत हे
बस इही अब सवाल होवत हे।

वायदा जीत के अपन भूले
आज नेता दलाल होवत हे।

रोज के योजना नवा लावय
अब दिनोदिन कमाल होवत हे।

भूले' संस्कार आज के बेटा
बाप घर ले निकाल होवत हे।

रोज पीके चलय डगर मनखे
मंद हा जीव काल होवत हे।

आज चाऊँर मिल जथे सस्ता
फेर महँगा जी' दाल होवत हे।

मार महँगाई' के परे थपरा
आम जनता हलाल होवत हे।

'ज्ञानु' बीतत सजा बरोबर हे
जिन्दगी तंगहाल होवत हे।

छ्त्तीसगढ़ी गज़ल - ज्ञानुदास मानिकपुरी (2)

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122-1212-22

आज मन हा उदास हे काबर।
देख दुनियाँ हतास  हे काबर।

रट्ट ले टोर देथे* हिरदै ला
जें बहुत दिल के* खास हे काबर।

भूल कइसे जहूँ मयारू ला
दूर रहिके भी* पास हे काबर।

देखले हाल अन्नदाता के
रोजके भूख प्यास हे काबर।

देखके सावचेत रह बेटी
आदमी बदहवास हे काबर।

मिलही* छइहाँ इहाँ कहाँ ले जी
पेड़ पौधा विनास हे काबर।

'ज्ञानु' आही कि नही ये* अच्छा दिन
आज ले फेर आस हे काबर। ।

छ्त्तीसगढ़ी गज़ल - ज्ञानुदास मानिकपुरी (3)

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122-1212-22

चार दिन बर मिले हवय जिनगी।
फूल कस ये खिले हवय जिनगी।

आज ले नइ दिखिस हे अच्छा दिन
दुख दरद मा हिले हवय जिनगी।

कोन सुनथे गुहार का हमरो
जानके मुँह सिले हवय जिनगी।

कुछ मिलय तो सुझाव कुछु कखरो
मार  मंतर ढ़िले हवय जिनगी।

घाम का छाँव का कभू जाड़ा
'ज्ञानु' रोजे छिले हवय जिनगी।


छ्त्तीसगढ़ी गज़ल - ज्ञानुदास मानिकपुरी (4)

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122-1212-22

ओढ़ कथरी ल घीव खावत हे।
राग अपने ल बस सुनावत हे।

राम मुख मा जपत जमाना हे
अउ बगल मा छुरी दबावत हे।

लाज मरगे घलो इहाँ गिरगिट
रंग मनखे अपन दिखावत हे।

आज पहिचानना हवय मुश्किल
चेहरा सब अपन छिपावत हे।

नाम सरकार बस हवय भइया
काज कखरो कहाँ बनावत हे।

जोड़ रिश्ता मया मयारू हा
अब मया के चिन्हा मिटावत हे।

"ज्ञानु" अँधियार हे मया बिन ये
जग तभे प्रेम गीत गावत हे।

गजलकार - ज्ञानुदास मानिकपुरी
ग्राम - चंदैनी , कबीरधाम
छत्तीसगढ़

12 comments:

  1. बेहतरीन ग़ज़ल सृजन भाई ज्ञानु

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    Replies
    1. सादर प्रणाम दीदी जी

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    2. सादर प्रणाम दीदी जी

      Delete
  2. बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव जी

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  3. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  4. बहुत जोरदार गुरुदेव जी

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद सर जी

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  5. बहुतेच सुग्घर सिरजन गजल करारा व्यंग अउ सम सामयिक ।

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  6. बहुत ही सुन्दर गज़ल सर।बधाई

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  7. उम्दा गजल लिखे हव भैया जी।हार्दिक बधाई ।

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