छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान-122 122 122 122
भरोसा म टिकथे मितानी सबे दिन।
जुआ तास ताये किसानी सबे दिन।1
फिकर छोड़ कल के करे तैं करम रे।
दिही साथ का पुरवा पानी सबे दिन।2
अपन के मया मोह अपनेच होथे।
खवाही का दूसर खजानी सबे दिन।3
पलोबे कहूँ खेत बारी म पानी।
भरे बर ता लगही लगानी सबे दिन।4
बदलथे समै देख बचपन जवानी।
रहे नइ धरा धाम धानी सबे दिन।5
नँवे पेड़ नइ तौन टूटय हवा मा।
धरे रेंगबे झन गुमानी सबे दिन।6
बहुरथे घलो दिन ह घुरवा के भैया।
लगाये नही दुःख बानी सबे दिन।7
नयन नित उघारे समय देख चलबे।
कहाबे ये जग मा गियानी सबे दिन।8
करम कर ले अइसे कि जाने जमाना।
कही तोर सब झन कहानी सबे दिन।9
गजलकार-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान-122 122 122 122
भरोसा म टिकथे मितानी सबे दिन।
जुआ तास ताये किसानी सबे दिन।1
फिकर छोड़ कल के करे तैं करम रे।
दिही साथ का पुरवा पानी सबे दिन।2
अपन के मया मोह अपनेच होथे।
खवाही का दूसर खजानी सबे दिन।3
पलोबे कहूँ खेत बारी म पानी।
भरे बर ता लगही लगानी सबे दिन।4
बदलथे समै देख बचपन जवानी।
रहे नइ धरा धाम धानी सबे दिन।5
नँवे पेड़ नइ तौन टूटय हवा मा।
धरे रेंगबे झन गुमानी सबे दिन।6
बहुरथे घलो दिन ह घुरवा के भैया।
लगाये नही दुःख बानी सबे दिन।7
नयन नित उघारे समय देख चलबे।
कहाबे ये जग मा गियानी सबे दिन।8
करम कर ले अइसे कि जाने जमाना।
कही तोर सब झन कहानी सबे दिन।9
गजलकार-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)