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Tuesday 24 September 2019

छत्तीसगढ़ी गजल


छत्तीसगढ़ी गजल- इंजी गजानंद पात्रे"सत्यबोध"

बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

(221 1222  221 1222)

ये माटी सही तन के,अभिमान करे मनखे।
हे कोंन अपन दूसर,पहिचान करे मनखे।।

ले बाँट मया जग मा,हे चार पहर जिनगी।
सब छोड़ इहें जाना,नादान करे मनखे।।

बड़ लोभ करे माया,मन बाँध धरे गठरी।
धन जोर इहाँ ख़ुद ला,धनवान करे मनखे।।

मँय बात बतावत हँव,सुन कान करे खुल्ला।
सतकर्म सदा जग मा,बलवान करे मनखे।।

वो नाम कमाथे जी,अउ मान सदा पाथे।
जे सत्य अहिंसा ला,परिधान करे मनखे।।

हे नाश नशा दारू,घर द्वार सबो उजड़े।
सुख शांति खुदे तन ला,शमशान करे मनखे।।

सत जोत जला पात्रे,धर मानवता दीया।
अब कर्म बनय पूजा,गुनगान करे मनखे।।

इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
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बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

(221 1222  221 1222)

सब पेड़ इहाँ कटगे,अब छाँव कहाँ मिलथे।
बड़ घाम सहे प्रानी,सुख ठाँव कहाँ मिलथे।।

अब बाग बगीचा के,फल फूल सुखागे हे।
छतनार चमेली के,वो नाँव कहाँ मिलथे।।

जब गीत मया गूँजय,हर गाँव गली पारा।
भगवान लगय मनखे,वो पाँव कहाँ मिलथे।।

चौपाल हवय गायब,गय गोठ सियानी हा।
मन मीत जुरे राहय,वो गाँव कहाँ मिलथे।।

परिवार घलो बटगे,अब दूर सगा पात्रे।
जब दर्द मया राहय,वो घाँव कहाँ मिलथे।।

इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

Wednesday 11 September 2019

छत्तीसगढ़ी गजल-दुर्गा शंकर इजारदार



छत्तीसगढ़ी गजल

बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

221 1222  221  1222

विक्कट तो मिलावट से बाजार सजत हावै ,
लुच्चा ग लफंगा से सरकार सजत हावै ।।

अब दूध मथानी मा माछी ह घलो नइये ,
दारू के तो भठ्ठी मा दरबार सजत हावै ।।

हे पूछ परख भारी चप्पल के चटइया के ,
दरपन के दिखइया बर तलवार सजत हावै।।

हे पाँव ग बिन चप्पल काँटा तो बिनइया के ,
थूम्भा के जगइया घर तो कार सजत हावै ।।

कोठी हे निचट खाली जे नाम किसानी हे ,
दाना के दलाली के व्यापार सजत हावै।।

अपनेच अपन मा तो दुनिया ह सिमट गे हे ,
बिन दाई ददा के अब परिवार सजत हावै ।।

मँय झूठ कहँव दुर्गा कउँवा ह धरे चाबे ,
लुबलाब हवय तेकर गलहार सजत हावै ।।

गजलकार-दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़ छत्तीसगढ़

Monday 9 September 2019

छत्तीसगढ़ी गजल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर



गज़ल

बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

221 1222  221  1222

ए भइया गरम वाले कमजोर करम वाले
अखबार तहूँ ले ले ताजा हे गरम वाले

दमदार बियँग शैली सच खोज लिखे हावय
देरी ले समझ आही हे बात मरम वाले

परताप के दावा हा उघरे हे दिखावा हा
आजो हें छपे देखव दू चार शरम वाले

बइमान के पारी ला हर बात म गारी ला
मुँह मूँद सहत बइठे ईमान धरम वाले

हर बात म नटबे झन सुखदेव चिमटबे झन
जादा म भड़क जाही चुप शान्त बरम वाले

-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

Monday 2 September 2019

छत्तीसगढ़ी गजल-चोवाराम वर्मा"बादल"

गजल

बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

221 1222 221 1222

रेंगत हे गलत रस्ता इंसान भटक जाही
 इरखा के हवय चिखला जिनगी ह अटक जाही

 हे जेब में पइसा तब ममहात सबो ला हे
 तैं देख अभी किरनी दू चार चटक जाही

 सरकारी हवय पइसा जोहत हे इहाँ कतको
आधा ल बताथे उन बड़का  ह गटक जाही

 वो मोर बने उड़थे सब बाग बगइचा मा
आँखी म शिकारी के उड़ना ह खटक जाही

 बइहाय हवच काबर कुछ काम बुता कर तैं
 मन तोर लुभा के वो तितली ह मटक जाही

  घेरे हे गरीबी हा दाइज ग  कहाँ  ले लानय
 होगे  हे फिकर भारी का बाप झटक जाही

 'बादल' ह थिरागे अब हे क्वांर सुघर आये
 ले ओस गिरत हावय सब धान छटक जाही

चोवा राम 'बादल '

छत्तीसगढ़ी गजल-दिलीप कुमार वर्मा

गजल -दिलीप कुमार वर्मा


बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

221 1222 221 1222

मँय तोर मया खातिर,आगी ले गुजर जाहाँ।
धुतकार भले कतको,मँय तोर करा आहाँ।

मँय धीर धरइया हँव,जल्दी न हवय मोला।
भँवरा के सहीं रइहँव,तब तोर मया पाहाँ।

अवकात भले नइ हे, दू जून के रोटी के।
पर तोर मया पाये,मँय चाँद तको लाहाँ।

खेती हे न बारी हे, घर हे न दुवारी हे।
पर तोर रहे खातिर,मँय ताज ल बनवाहाँ।

गदहा के असन बोली,सुर बांस बजे फटहा।
अरमान जगाये बर,मँय गीत तको गाहाँ।

बस हाड़ बचे हावय, अउ जान बचे हावय।
मन तोर लुभाये बर,मँय मार तको खाहाँ।

मजनू न बनँव मँय हा, मँय हीर तको नो हँव।
कलजुग के मयारू हँव,मँय मार के मर जाहाँ।

दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...