गजल-दुर्गा शंकर इजारदार
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122
लगे कारखाना किसानी सिरागे ।
भरे बाँध टपटप के पानी सिरागे ।।
चकाचौंध बिल्डिंग कालोनी खातिर ।
खदर छाय सुग्घर वो छानी सिरागे ।।
मनच्यूरियन कुरकुरे चिप्स आगू ।
चना मुर्रा लाड़ू खजानी सिरागे।।
बने फेसबुक वाट्सअप दोस्त भारी ।
बदे भोजली के मितानी सिरागे ।।
बने हावै गोशाला अड़बड़ गा दुर्गा ।
घरो घर खड़े घी मथानी सिरागे ।।
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122
लगे कारखाना किसानी सिरागे ।
भरे बाँध टपटप के पानी सिरागे ।।
चकाचौंध बिल्डिंग कालोनी खातिर ।
खदर छाय सुग्घर वो छानी सिरागे ।।
मनच्यूरियन कुरकुरे चिप्स आगू ।
चना मुर्रा लाड़ू खजानी सिरागे।।
बने फेसबुक वाट्सअप दोस्त भारी ।
बदे भोजली के मितानी सिरागे ।।
बने हावै गोशाला अड़बड़ गा दुर्गा ।
घरो घर खड़े घी मथानी सिरागे ।।