गज़ल
बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222
ए भइया गरम वाले कमजोर करम वाले
अखबार तहूँ ले ले ताजा हे गरम वाले
दमदार बियँग शैली सच खोज लिखे हावय
देरी ले समझ आही हे बात मरम वाले
परताप के दावा हा उघरे हे दिखावा हा
आजो हें छपे देखव दू चार शरम वाले
बइमान के पारी ला हर बात म गारी ला
मुँह मूँद सहत बइठे ईमान धरम वाले
हर बात म नटबे झन सुखदेव चिमटबे झन
जादा म भड़क जाही चुप शान्त बरम वाले
-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
उम्दा गजल
ReplyDeleteसादर आभार खैरझिटिया सर
Deleteबेहतरीन गजल। भाव भरे शब्द। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार बहुत शुक्रिया आदरणीय बादल गुरुदेव
Deleteवाहःह भाई बहुते सुघ्घर ग़ज़ल
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteबढ़िया गजल अहिलेश्वर जी । बधाई
ReplyDeleteसादर आभार सर
Deleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह सरजी
ReplyDeleteसादर आभार सर
Deleteवाह्ह का बात भइया लाजावाब
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया मोहन भाई
Deleteवाह्ह का बात भइया लाजावाब
ReplyDeleteशानदार गजल भैया जी
ReplyDeleteबहुत खूब
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