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Monday 9 September 2019

छत्तीसगढ़ी गजल-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर



गज़ल

बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

221 1222  221  1222

ए भइया गरम वाले कमजोर करम वाले
अखबार तहूँ ले ले ताजा हे गरम वाले

दमदार बियँग शैली सच खोज लिखे हावय
देरी ले समझ आही हे बात मरम वाले

परताप के दावा हा उघरे हे दिखावा हा
आजो हें छपे देखव दू चार शरम वाले

बइमान के पारी ला हर बात म गारी ला
मुँह मूँद सहत बइठे ईमान धरम वाले

हर बात म नटबे झन सुखदेव चिमटबे झन
जादा म भड़क जाही चुप शान्त बरम वाले

-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

15 comments:

  1. Replies
    1. सादर आभार खैरझिटिया सर

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  2. बेहतरीन गजल। भाव भरे शब्द। हार्दिक बधाई।

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    1. सादर आभार बहुत शुक्रिया आदरणीय बादल गुरुदेव

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  3. वाहःह भाई बहुते सुघ्घर ग़ज़ल

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  4. बढ़िया गजल अहिलेश्वर जी । बधाई

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  5. वाह्ह्ह वाह्ह्ह सरजी

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  6. वाह्ह का बात भइया लाजावाब

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    1. बहुत शुक्रिया मोहन भाई

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  7. वाह्ह का बात भइया लाजावाब

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