Total Pageviews

Tuesday 7 January 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

बहर-221 1222 221 1222

तैं काम बने करबे, तब तोर तिरन आहूँ।
दीया के असन बरबे,तब तोर तिरन आहूँ।1

तनमन म मया घोरे, जिनगी म दया जोरे।
दुख द्वेष दरद दरबे,तब तोर तिरन आहूँ।2।

आमा के असन झुलबे,फुलवा के असन फुलबे।
सेमी के असन फरबे,तब तोर तिरन आहूँ।।3।

लगवार सहीं लगबे,रखवार सहीं जगबे।
कखरो ले कहूँ डरबे,तब तोर तिरन आहूँ।4

पुरवा म सजा सनसन,ऋतु राज बसंती बन।
पतझड़ के असन झरबे,तब तोर तिरन आहूँ।5

धन धान धरे रहिबे,गुण ग्यान धरे रहिबे।
सत शान जिया भरबे,तब तोर तिरन आहूँ।6

लत लोभ लड़ाई धर,बल बैर बुराई धर।
होली के असन जरबे,तब तोर तिरन आहूँ।7

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को कोरबा(छग)

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर गज़ल गुरुदेव जी

    ReplyDelete
  2. वाह बहुत सुग्घर गजल गुरुदेव👌👏💐

    ReplyDelete
  3. बहुत सुग्घर गुरुजी
    वाह्ह वाह्ह वाह्ह

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर गजल वाहह्ह्ह्ह्ह्

    ReplyDelete

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...