Total Pageviews

Saturday, 29 June 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"

छत्तीसगढ़ी गजल - गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

(2122  1212  22)

दोस्ती  मोर  बड़  निराला हे।
मैं  सुदामा  वो नन्द लाला हे।।

मैं  गरम  चाय  केटली  भाई।
प्रेम  के  मीठ  वो पियाला हे।।

वो मसीहा गरीब मन बर जी।
मैं  पुजारी  उही  शिवाला  हे।।

घोरथे रस  मया  निरन्तर वो।
मैं दुखी  दीन भाग  काला हे।।

का कहौं मोर दुख कहानी ला।
हे  सखा  देख  हाथ  छाला हे।।

घोर  संकट परे  सहौं बिपदा।
मोर किस्मत के बंद ताला हे।।

हे गजानन्द दुख बरोबर सुख।
जीत मन  के उहाँ  उजाला हे।।

गजलकार- इंजी.गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)

12 comments:

  1. गजल खजाना म जगह दिये बर सादर आभार गुरुदेव,प्रणाम

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत बधाई हो पात्रे भाई

    बेहतर ग़ज़ल के लिए

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद दीदी,।

      Delete
  3. बहुत ही सुन्दर गजल सर

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद ज्ञानु जी।

      Delete
  4. बहुत सुन्दर गुरुदेव

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद बोधनराम जी।

      Delete
  5. सुग्घर गजल।हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  6. वाह्ह वाह्ह

    ReplyDelete
  7. लाजवाब वाहहह!सर

    ReplyDelete
  8. शानदार गजल गुरुदेव ।हार्दिक बधाई

    ReplyDelete

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...