गजल
बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222
रेंगत हे गलत रस्ता इंसान भटक जाही
इरखा के हवय चिखला जिनगी ह अटक जाही
हे जेब में पइसा तब ममहात सबो ला हे
तैं देख अभी किरनी दू चार चटक जाही
सरकारी हवय पइसा जोहत हे इहाँ कतको
आधा ल बताथे उन बड़का ह गटक जाही
वो मोर बने उड़थे सब बाग बगइचा मा
आँखी म शिकारी के उड़ना ह खटक जाही
बइहाय हवच काबर कुछ काम बुता कर तैं
मन तोर लुभा के वो तितली ह मटक जाही
घेरे हे गरीबी हा दाइज ग कहाँ ले लानय
होगे हे फिकर भारी का बाप झटक जाही
'बादल' ह थिरागे अब हे क्वांर सुघर आये
ले ओस गिरत हावय सब धान छटक जाही
चोवा राम 'बादल '
बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222
रेंगत हे गलत रस्ता इंसान भटक जाही
इरखा के हवय चिखला जिनगी ह अटक जाही
हे जेब में पइसा तब ममहात सबो ला हे
तैं देख अभी किरनी दू चार चटक जाही
सरकारी हवय पइसा जोहत हे इहाँ कतको
आधा ल बताथे उन बड़का ह गटक जाही
वो मोर बने उड़थे सब बाग बगइचा मा
आँखी म शिकारी के उड़ना ह खटक जाही
बइहाय हवच काबर कुछ काम बुता कर तैं
मन तोर लुभा के वो तितली ह मटक जाही
घेरे हे गरीबी हा दाइज ग कहाँ ले लानय
होगे हे फिकर भारी का बाप झटक जाही
'बादल' ह थिरागे अब हे क्वांर सुघर आये
ले ओस गिरत हावय सब धान छटक जाही
चोवा राम 'बादल '
बड़ सुघ्घर गजल
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
DeleteBahut aachaa h. Bhaiya ji
Deleteवाह बहुत बढ़िया गजल बादल गुरुजी
ReplyDeleteमजा आगे
बहुत बहुत बधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
धन्यवाद आदरणीय महेंद्र भाई जी।
Deleteबहुत बढ़िया गजल गुरुदेव
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteवाह गुरूजी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद।
Deleteआदरणीय बादल भैया जी ला अनंत बधाई💐💐👌👌👌👍👍
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया जी।
Deleteबहुत सुग्घर गज़ल, गुरुदेव ।सादर नमन ।
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई जी।
Deleteवाहःह बहुत बढ़िया ग़ज़ल भैया जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteबहुत बढ़िया, बादल भैया।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteहार्दिक आभार जितेंद्र भाई जी।
ReplyDeleteअब्बड़ सुघ्घर गजल
ReplyDeleteकोटिक धन्यवाद आदरणीय।
Deleteबहोत बढ़िया सर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद।
Deleteवाह बहुत सुंदर गजल भइया
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteअनुपम सृजन,गुरुवर
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteअब्बड़ सुग्घर गज़ल गुरुदेव।।सादर प्रणाम ।।
ReplyDeleteमहतारी भाखा के उत्थान में आप सबके योगदान स्मरणीय हे।हार्दिक आभार।
Deletebaht sunder
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteउत्कृष्ट लेखन भैया,,,, सशक्त लेखनी को नमन
ReplyDeleteसादर नमस्कार नील जी। हार्दिक आभार।
Deleteघात सुग्घर बिंब ,व्यंजना से ओतप्रोत छत्तीसगढ़ी गजल। प्रणाम।।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद वीरेंद्र भाई।
Deleteछत्तीसगढ़ी मे गजल बड़ सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteबादल सर
ReplyDelete🙏🏻
आपके इस रचना तारीफ करने लायक शब्दो का अभाव अपने शब्दकोश साफ महसुस हो रहा है...
छतीसगढ़ी गजल भी इतना करामात दिखा सकती है देख कर आश्चर्य हो रहा है । प्रणाम है आपको और आपके लेखनी को..🙏🏻
"वो मोर बने उड़थे सब बाग बगइचा मा
आँखी म शिकारी के उड़ना ह खटक जाही"
👆🏼
वाह... वाह... वाह
हार्दिक आभार आदरणीय।
DeleteGajal bahut accha he
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय।
Deleteबहुत बढ़िया रचना भैया जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया जी।
Deleteबहुत ही सुंदर पंक्तियां हैं आदरणीय।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteहार्दिक बधाई हार्दिक बधाई गुरुदेव
ReplyDeleteधन्यवाद पैगवार जी।
Deleteअति सुंदर सजीव चित्रण... छत्तीसगढ़ीभ भाषा से आपकी लगाव का जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत किए हैं इस रचना के माध्यम से...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Deleteअति सुंदर सजीव चित्रण... छत्तीसगढ़ीभ भाषा से आपकी लगाव का जीता जागता उदाहरण प्रस्तुत किए हैं इस रचना के माध्यम से...
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।
Delete1 no he sir ji
Deleteबहुत सुंदर गुरुदेव। आपकी कला और आपको फौजी का सेल्यूट।
ReplyDeleteजय हिन्द जय छत्तीसगढ़
जय हिंद। हार्दिक धन्यवाद।
Deleteधन्यवाद बघेल जी।
ReplyDeleteBahut sundar
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteबहुत सुघ्घर गज़ल मामा जी
ReplyDeleteधन्यवाद भाँचा श्री।
DeleteSunder rachna ke liye behatarin rachnakar ko naman
ReplyDeleteआपका हार्दिक धन्यवाद।
Deleteसुग्घर ग़ज़ल
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteछत्तीसगढ़ी में इस प्रकार गजल रचना अपने आप में एक अलग विधा है और हम इस विधा कार का हृदय से सम्मान करते हैं वर्मा जी आप आगे बढ़े इसी रूप में हमारी छत्तीसगढ़ी सभ्यता और संस्कृति को और आगे ले जाएं मां भारती का आशीर्वाद सदैव आपको मिलता रहे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ सदैव आपका
ReplyDeleteप्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।
Deleteप्रोत्साहन भरे शब्दों के लिए आपका हार्दिक आभार।
ReplyDeleteशानदार गजल गुरुदेव ।आपके लेखनी ला नमन हे।हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई।
Deleteमाता भारती की असीम अनुकंपा सदैव आपके ऊपर बनी रहे और इसी प्रकार छत्तीसगढ़ी गजल को ऊंचाइयों तक आप ले जाते रहे इस विधा के विधाकार श्री सी आर वर्मा जी का हम हृदय से स्वागत करते हैं एवं आशा करते हैं कि और भी हमें भविष्य में आपके नगमे सुनने और पढ़ने को मिलेंगे शुभकामनाओं के सहित सदैव आपका
ReplyDeleteआपके प्रोत्साहन भरे शब्दों से आगे और सृजन के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteसुग्घर गजल आदरणीय
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteबहुत सुंदर रचना सर जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteवर्तमान परिस्थितियों को बहूत सुंदर ढंग से गजल के माध्यम से प्रस्तुत किया है आपका रचनाशरचनाशक्ति अद्भुत एवं विलक्षण है आपकी कल्पनाशक्ति और क्षमता असिमित
ReplyDeleteहै सादर धन्यवाद
छत्तीसगडी साहित्य अउ रचनाकार मन बर आप जइसे सुधि पाठक मन के विचार मार्गदर्शन के काम करही। आप ला हार्दिक धन्यवाद।
Deleteवर्तमान परिस्थितियों को बहुत सुंदर ढंग से गजल के माध्यम से प्रस्तुत किया है आपका कल्पनाशक्ति और क्षमता अद्भुत एवं विलक्षण है मन प्रफुल्लित हो गया ।
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद ।
उत्कृष्ठ गजल गुरुदेव
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteउत्कृष्ठ गजल गुरुदेव
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय।
Deleteअब्बड़ सुघ्घर गजल गुरुदेव, एकर बर आपला गाड़ा गाड़ा बधाई।
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद सांगली जी।
ReplyDeleteबहुत ही सूंदर छत्तीगढ़ी गजल गुरुदेव सादर नमन
Deleteबहुत शानदार उत्कृष्ट सिरजन बादल भइया जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteआनंद आगे गुरुदेव।लाजवाब गज़ल।शेर तो एक ले बढ़के एक हे वाहहहहहहह!
ReplyDeleteहार्दिक आभार अहिलेश्वर जी।
Deleteबहुत सुघ्घर गजल लिखे हव भाई जी आपके सबो गजल एक ले बड़के एक हावय आपके लेखनी ल सादर नमन्
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया जी।
Deleteसुग्घर गजल भैया जी
ReplyDeleteप्रणाम सर जी... सुन्दर गजल
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