Total Pageviews

Monday 5 October 2020

ग़ज़ल --आशा देशमुख*🌹

 🌹*ग़ज़ल --आशा देशमुख*🌹


*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*

 

*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*

 *2212 2212*


पंडित रहै काजी रहै

दुनिया खुशी राजी रहै।


विधना रखव अतकी कृपा

रोटी सहित भाजी रहै।


जिनगी रचय जब खेल तब

बस जीत के बाजी रहै।


परिवार झन तरसे कभू

मुर्रा चना खाजी रहै।


मिहनत कमाई घर भरे

झन पाप के ब्याजी रहै।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...