🌹*ग़ज़ल --आशा देशमुख*🌹
*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*
*मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन*
*2212 2212*
पंडित रहै काजी रहै
दुनिया खुशी राजी रहै।
विधना रखव अतकी कृपा
रोटी सहित भाजी रहै।
जिनगी रचय जब खेल तब
बस जीत के बाजी रहै।
परिवार झन तरसे कभू
मुर्रा चना खाजी रहै।
मिहनत कमाई घर भरे
झन पाप के ब्याजी रहै।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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