छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212
सबला पता ये माप हे
भुॅंइया ले भारी पाप हे
पापी बिना कहिदे भला
का पाप अपने-आप हे
तइहा ले देखत आत हन
सत्ता के मुॅंह चुपचाप हे
बेटा करा हे रेडचिफ
भुॅंभरा म उखरा बाप हे
आजो कुपरथा के डहर
अड़के खड़े सब खाप हे
सच के बड़ाई दूर तक
लबरा के एके धाप हे
सुखदेव अलखादे करस
बपुरा ॲंगूठा छाप हे
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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