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Monday, 5 October 2020

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव


बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम

 मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन


2212 2212


सबला पता ये माप हे

भुॅंइया ले भारी पाप हे


पापी बिना कहिदे भला

का पाप अपने-आप हे


तइहा ले देखत आत हन

सत्ता के मुॅंह चुपचाप हे


बेटा करा हे रेडचिफ

भुॅंभरा म उखरा बाप हे


आजो कुपरथा के डहर

अड़के खड़े सब खाप हे


सच के बड़ाई दूर तक

लबरा के एके धाप हे


सुखदेव अलखादे करस

बपुरा ॲंगूठा छाप हे


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

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