Total Pageviews

Monday 5 October 2020

गजल- मनीराम साहू मितान

 गजल- मनीराम साहू मितान


बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम 

मुस्तफ़इलुन  मुस्तफ़इलुन 

2212  2212 


रुखवा असन‌ तैं काट झन।

मनखे हरॅय तैं बाॅट झन।


सुग्घर निभा देये बचन,

अब थूॅक के तैं चाॅट झन।


बड़का हवय ये छोटका,

सम हे सबो तैं छाॅट झन।


घिन बात ला गा जा भुला,

डोरी असन तैं आॅट झन।


लइका टिमाली कर जथे,

हर बात मा तैं डाॅट झन।


कर दे मदद दुखिया हवय,

खन‌ के मनुसता पाट झन।


देबे मया मिलही मया,

अंतस मनी रख आॅट झन।


- मनीराम साहू मितान

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...