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Saturday 25 May 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - इंजी. गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"

छत्तीसगढ़ी गजल - इंजी. गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"

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बाँध भाई अब सुमत के डोर ला।
मिल के लाना हे मया के भोर ला।।

देख ताकत हे खड़े दुश्मन इँहा।
मिल भगाना हे सुमत के चोर ला।।

भेद ले के भेद झन देवव कभू।
बात मानौ ये हमेशा मोर ला।।

फूल सुमता के ख़िलाबो मिल चलव।
फेर महकाबो गली अउ खोर ला।।

खोल आँखी तैं बने पहिचान ले।
कोन लूटत हक इहाँ जी तोर ला।

पाटबो डबरा कुमत के अब चलव।
फेर बगराबो मया के शोर ला।।

घोर अँधियारी दिखत हे सत्यबोध।
लान बो चल अब मया अंजोर ला।।

गजलकार - इंजी. गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
छत्तीसगढ़

14 comments:

  1. वाहःहः भाई बहुत सुंदर ग़ज़ल के सृजन
    हार्दिक बधाई

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  2. गजल खजाना म जगह दिये बर सादर आभार गुरुदेव,
    प्रणाम।

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  3. गजब सुग्घर सर

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  4. गजब सुग्घर सर

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  5. बहुत ही सुन्दर गज़ल सत्यबोध सर

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  6. बहुत सुग्घर गज़ल सर

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  7. सुग्घर पात्रे सर

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  8. सुग्घर पात्रे सर

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  9. सुग्घर पात्रे सर

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  10. बढ़िया गजल हे सत्यबोध जी।हार्दिक बधाई।

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  11. पात्रे जी बढ़िया गजल बर बधाई

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  12. बहुत बढ़िया गजल हे ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे ।

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