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Wednesday 29 May 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया

छत्तीसगढ़ी गजल - जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया

2122   2122   212

नइ मिले शोहरत कभू बिन काम के।
कतको जग मा हे पड़े बिन नाम के।

काम कर कौड़ी कमा ना फोकटे,
धन सुबे आही सिराही शाम के।

धन असल ईमान अउ सम्मान हे,
सोन चाँदी हा हरे बस दाम के।

पद बढ़े अउ कद बढ़े सब सोंचथे,
फेर कोनो नइ चले सत थाम के।

चार दिन चलथे मया मातम इहाँ,
नाम रटते नित रबे श्री राम के।

झन जराबे गोठ मा दिल काखरो,
देंवता रिसहा अबड़ मन धाम के।

खैर नइहे खैरझिटिया के घलो,
ताव आगी कस बरे बड़ घाम के।

गजलकार - जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया
बालको

33 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर गजल सर

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  2. वाहःहः भाई जितेंन्द्र
    बहुत सुंदर ग़ज़ल सृजन

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  3. वाह वाह ।
    खैर नइ हे खैरझिठिया के घलो।
    बहुत बढ़िया।बधाई

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  4. शानदार गजल बर जितेंद्र जी ला हार्दिक बधाई।

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  5. उम्दा गजलकारी सर जी।

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  6. वाह वर्मा जी जोरदार

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    1. सादर बधाई अउ नमन सर जी

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  7. शोहरत कमाय बर मिहनत जरुरी हे,सुग्घर संदेश देवत आपमन के गज़ल अनंत बधाई गुरुजी👍👌💐

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  8. बहुत जोरदार गुरूदेव

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  9. शानदार गुरुदेव

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  10. शानदार गजल। का कहना। बधाई।

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  11. शानदार गजल भैया वाह्ह्ह्ह्ह्

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  12. शानदार गजल भैया वाह्ह्ह्ह्ह्

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  13. जबरदस्त खैरझीटिया जी

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  14. वाह वाह क्या बात है वर्मा जी ।हार्दिक बधाई

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  15. बहुत बढ़िया, गजल आदरणीय ।हार्दिक बधाई ।

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  16. वाहहहह!क्या कहने बहुत सुन्दर खैरझिटिया जी

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  17. जोरदरहा गजल हे भाई जी।बधाई

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  18. बहुत सुदंर हे चाचा

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