छत्तीसगढ़ी गजल - दुर्गाशंकर इजारदार
2122 2122 212
आज गुन के तो कहाँ सनमान हे ।
पुछ परख हे जेन तो बलवान हे ।।
बाँध टप टप ला भरे हे मान ले ।
मोर सुक्खा खेत अउ खलिहान हे ।।
जेन उँगली ला धरे हे झूठ के ।
आज मनखे तो उही धनवान हे ।।
खाय बर दाना नहीं जेकर करा ।
पासबुक मा तो भरे ईमान हे ।।
हाथ लाठी जेन रखते हाँक के ।
मान तेकर भैंस होथे जान ले।।
देश के माटी ल चंदन तँय समझ ।
मान अल्ला गा इही भगवान हे ।।
वोट पावत ला कहे तँय देंवता ।
बाद दुर्गा तोर का पूछान हे ।।
गजलकार - दुर्गाशंकर इजारदार
सुग्घर गजल बर दुर्गाशंकर जी ला हार्दिक बधाई।बढ़िया कहन हे।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गजल बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गजल बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह सर जी
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह सर जी
ReplyDeleteवाहहहह!वाहहहह!बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़ज़ल
ReplyDeleteशानदार सृजन सर जी।
ReplyDeleteझूठ के रद्दा आज जेन धरे हे उही धनवान बनत हे...सत के आइना दिखावत आपमन के गज़ल अनंत बधाई👍👌💐
ReplyDeleteअनुपम सृजन ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे भैया ला ।
ReplyDeleteदेश के माटी ल चन्दन तँय समझ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल।बधाई हो