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Tuesday 28 May 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - मनीराम साहू

छत्तीसगढ़ी गजल - मनीराम साहू

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गोठ हाबय सार भइया मान ले।
पेड़  होथे देंवता कस जान ले।

ये ह जीथे गा सुवारथ छोड़ के,
झन कटय तैं आज मन मा ठान ले।

पर जथन बीमार तव देथे दवा,
ठीक कर देथे अपन जर पान ले।

पेड़ बिन जिनगी अधूरा गा हवय,
नइ मिलय सुख जान कोनो आन ले।

नइ सकय वो बोल नइ वो हर चलै
आस करथे फेर गा इन्सान ले।

मीत हे गा जान झन तैं कर दगा,
मान ले तैं डर चिटिक भगवान ले।

हाथ जोरे हे कहत तोला 'मितान',
राख ले तैं कर जतन ईमान ले।

गजलकार - मनीराम साहू "मितान"

14 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना गुरू

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  2. वाह वाह मितान जी। सुंदर गजल बर हार्दिक बधाई।

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  3. बहुत शानदार गजल सर

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  4. बहुत शानदार गजल सर

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  5. वाहहहहह!वाहहह!वाहहहह!

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  6. वाहःहः बहुत सुंदर ग़ज़ल

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  7. बढ़िया मुकम्मल गजल रचेहव मितान जी।बधाई

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  8. शानदार गजल हे मितान जी।बधाई

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  9. वाह!! बहुत बढ़िया सृजन भैयाजी।

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  10. बहुत सुन्दर गजल मितान जी। रुख राई नोहय बिरान जी

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  11. बहुत बढ़िया सृजन भइया जी

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  12. रुख के महिमा ला बतावत आपमन के गज़ल,बधाई👍👌💐

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  13. शानदार सृजन मितान जी।हार्दिक बधाई ।

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