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Monday, 20 May 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - चोवाराम वर्मा "बादल"

छत्तीसगढ़ी गजल खजाना, छन्द के छ परिवार के साधक मन के नवा उदिम हे जेमा गजल-विधान के पालन करके छत्तीसगढ़ी भाषा मा गजल कहे के कोशिश करे गेहे। आप जम्मो झन के स्वागत हे।

छत्तीसगढ़ी गजल - चोवाराम वर्मा "बादल"
{2122 2122 212}

मोह माया ले अपन मुख मोड़ के
रेंग दिस पुरखा सबो ला छोड़ के।

आज  बेटा हा उराठिल हे कहे
बाप के हिरदे ल रट ले तोड़ के ।

झन भरोसा आन के करबे गड़ी
कर भरोसा हाथ खुद के गोड़ के ।

भाग जाहीं उन सबो हुशियार मन
ठीकरा ला तोर मूँड़ी  फोड़ के ।

नींद भाँजत हे अजी रखवार हा
चल उठाबो जोर से झंझोड़ के ।

पेट भर जी अन्न पानी मिल जही
काय करबे दाँत चाबे जोड़ के ।

फेंक देही जेन ला माने अपन
देख "बादल" तोर जर ला कोड़ के।

गजलकार - चोवाराम वर्मा "बादल"
हथबन्द, छत्तीसगढ़

14 comments:

  1. गजल के श्री गणेश के लिए बहुत बहुत बधाई हो भैया जी।

    गुरुदेव को सादर नमन

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  2. अब्बड़ सुग्घर
    गुरुदेव
    प्रणाम

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  3. बहुत सुग्घर गजल सर

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    Replies
    1. धन्यवाद ज्ञानु भाई जी।

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  4. बहुत सुग्घर गजल सर

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  5. अनंत बधाई गुरुदेव👍👌💐

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  6. मनभावन गजल सृजन। भैयाश्री सादर नमन।
    गुरुदेव सादर पायलगी।

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  7. बहुत सुन्दर

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  8. अति सुन्दर गुरुदेव जी

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  9. भैयाश्री शानदार सृजन।

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  10. अनुकरणीय गजल आदरणीय गुरुदेव ।सादर प्रणाम सहित हार्दिक बधाई ।

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  11. मन भावन छत्तीसगढ़ी गजल भैया जी।बधाई हो

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