छत्तीसगढ़ी गजल खजाना, छन्द के छ परिवार के साधक मन के नवा उदिम हे जेमा गजल-विधान के पालन करके छत्तीसगढ़ी भाषा मा गजल कहे के कोशिश करे गेहे। आप जम्मो झन के स्वागत हे।
छत्तीसगढ़ी गजल - चोवाराम वर्मा "बादल"
{2122 2122 212}
छत्तीसगढ़ी गजल - चोवाराम वर्मा "बादल"
{2122 2122 212}
मोह माया ले अपन मुख मोड़ के
रेंग दिस पुरखा सबो ला छोड़ के।
आज बेटा हा उराठिल हे कहे
बाप के हिरदे ल रट ले तोड़ के ।
झन भरोसा आन के करबे गड़ी
कर भरोसा हाथ खुद के गोड़ के ।
भाग जाहीं उन सबो हुशियार मन
ठीकरा ला तोर मूँड़ी फोड़ के ।
नींद भाँजत हे अजी रखवार हा
चल उठाबो जोर से झंझोड़ के ।
पेट भर जी अन्न पानी मिल जही
काय करबे दाँत चाबे जोड़ के ।
फेंक देही जेन ला माने अपन
देख "बादल" तोर जर ला कोड़ के।
गजलकार - चोवाराम वर्मा "बादल"
हथबन्द, छत्तीसगढ़
गजल के श्री गणेश के लिए बहुत बहुत बधाई हो भैया जी।
ReplyDeleteगुरुदेव को सादर नमन
अब्बड़ सुग्घर
ReplyDeleteगुरुदेव
प्रणाम
बहुत सुग्घर गजल सर
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञानु भाई जी।
Deleteबहुत सुग्घर गजल सर
ReplyDeleteअनंत बधाई गुरुदेव👍👌💐
ReplyDeleteमनभावन गजल सृजन। भैयाश्री सादर नमन।
ReplyDeleteगुरुदेव सादर पायलगी।
धन्यवाद अमित भाई जी।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteअति सुन्दर गुरुदेव जी
ReplyDeleteभैयाश्री शानदार सृजन।
ReplyDeleteअनुकरणीय गजल आदरणीय गुरुदेव ।सादर प्रणाम सहित हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteमन भावन छत्तीसगढ़ी गजल भैया जी।बधाई हो
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