छत्तीसगढ़ी गजल - कन्हैया साहू "अमित"
बहर-2122, 2122, 212,
नाव के सरकार हे जय राम जी।
गोठ भर दमदार हे जय राम जी।
काम के कोनो ठिकाना नइ इहाँ,
फेर बड़ मतवार हे जय राम जी।
मीठलबरा हा कलेचुप साधथे,
बस चिटिक हुसियार हे जय राम जी।
पार परिहा सब सुवारथ जानथें,
कौन दुख बँटवार हे जय राम जी।
एक रुपिया मा किलो भर झोंक लव।
कोन अब बनिहार हे जय राम जी।
कोढ़िया के ओढ़हर बस एकठन।
रोजिना इतवार हे जय राम जी।
भेस सादा भर धरे ले का 'अमित'।
मन कुलुप अँधियार हे जय राम जी।
गजलकार - कन्हैया साहू "अमित"
भाटापारा, छत्तीसगढ़
जय राम जी। सुघ्घर गजल
ReplyDeleteबहुत सुंदर ग़ज़ल हे भाई अमित
ReplyDeleteमन कुलुप अधियार हे जय राम जी।वाह्ह्ह् क्या कहने शानदार अमित सर
ReplyDeleteवाह क्या बात है ।बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteसुग्घर गजल बर अमित जी ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteगजब सुग्घर गजल सर
ReplyDeleteगजब सुग्घर गजल सर
ReplyDeleteजय राम जी ।भई वाह बढ़िया गजल बधाई
ReplyDeleteगजब सुग्घर ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे भैया ला ।
ReplyDelete