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Sunday, 26 May 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - कन्हैया साहू "अमित"

छत्तीसगढ़ी गजल - कन्हैया साहू "अमित"

बहर-2122, 2122, 212,

नाव के सरकार हे जय राम जी।
गोठ भर दमदार हे जय राम जी।

काम के कोनो ठिकाना नइ इहाँ,
फेर बड़ मतवार हे जय राम जी।

मीठलबरा हा कलेचुप साधथे,
बस चिटिक हुसियार हे जय राम जी।

पार परिहा सब सुवारथ जानथें,
कौन दुख बँटवार हे जय राम जी।

एक रुपिया मा किलो भर झोंक लव।
कोन अब बनिहार हे जय राम जी।

कोढ़िया के ओढ़हर बस एकठन।
रोजिना इतवार हे जय राम जी।

भेस सादा भर धरे ले का 'अमित'।
मन कुलुप अँधियार हे जय राम जी।

गजलकार - कन्हैया साहू "अमित"
भाटापारा, छत्तीसगढ़

9 comments:

  1. जय राम जी। सुघ्घर गजल

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  2. बहुत सुंदर ग़ज़ल हे भाई अमित

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  3. मन कुलुप अधियार हे जय राम जी।वाह्ह्ह् क्या कहने शानदार अमित सर

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  4. वाह क्या बात है ।बहुत ही सुन्दर

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  5. सुग्घर गजल बर अमित जी ला हार्दिक बधाई।

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  6. गजब सुग्घर गजल सर

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  7. गजब सुग्घर गजल सर

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  8. जय राम जी ।भई वाह बढ़िया गजल बधाई

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  9. गजब सुग्घर ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे भैया ला ।

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