छत्तीसगढ़ी गजल-आशा देशमुख
*बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम*
*फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन*
*212 212 212*
कोन बाँधे इहाँ काल ला।
कोन काटे बिछे जाल ला।
डर सतावत रहय रात दिन।
का बतावय मनुज हाल ला।
रोग फ़इलत हवय रोज के।
अब बदल ले अपन चाल ला।
फूँक आगी अहम लोभ के।
काय करबे धरे माल ला।
बैठ के सब उँघावत हवँय
का बजावत हवच गाल ला।
दिन बदलही इही आस हे।
याद करहू यहू साल ला।
कोन जाने कहाँ शत्रु हे
राख आशा अपन ढाल ला।
आशा देशमुख
*बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम*
*फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन*
*212 212 212*
कोन बाँधे इहाँ काल ला।
कोन काटे बिछे जाल ला।
डर सतावत रहय रात दिन।
का बतावय मनुज हाल ला।
रोग फ़इलत हवय रोज के।
अब बदल ले अपन चाल ला।
फूँक आगी अहम लोभ के।
काय करबे धरे माल ला।
बैठ के सब उँघावत हवँय
का बजावत हवच गाल ला।
दिन बदलही इही आस हे।
याद करहू यहू साल ला।
कोन जाने कहाँ शत्रु हे
राख आशा अपन ढाल ला।
आशा देशमुख
सादर आभार गुरुदेव
ReplyDeleteसादर आभार भाई जितेंद