गजल- गजानन्द पात्रे
बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212
मोर छत्तीसगढ़ धाम हे ।
हाथ ला जोर परनाम हे ।।
बात कर नीति रख धरम ।
सत्य जग मा सदा दाम हे ।।
चाँद सूरज उगे सत धरा ।
लोक हित ये सुबो शाम हे ।।
भेद मनखे धरम ना करौ ।
एक ही खून तन चाम हे ।।
एक घासी कबीरा इँहे ।
यीशु रहिमन गुरू राम हे ।।
क्रोध तन मन जलाये जिया ।
मीठ बोली बने काम हे ।।
चल गजानंद पात्रे धरे ।
राह सच के लगे जाम हे ।।
गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212
मोर छत्तीसगढ़ धाम हे ।
हाथ ला जोर परनाम हे ।।
बात कर नीति रख धरम ।
सत्य जग मा सदा दाम हे ।।
चाँद सूरज उगे सत धरा ।
लोक हित ये सुबो शाम हे ।।
भेद मनखे धरम ना करौ ।
एक ही खून तन चाम हे ।।
एक घासी कबीरा इँहे ।
यीशु रहिमन गुरू राम हे ।।
क्रोध तन मन जलाये जिया ।
मीठ बोली बने काम हे ।।
चल गजानंद पात्रे धरे ।
राह सच के लगे जाम हे ।।
गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
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