गजल -आशा देशमुख
*बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम*
*फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन*
*212 212 212*
आत्महत्या महा पाप हे
साँस ला जस मिले श्राप हे।
नइ बियापय सुरुज के अगिन
छल गरब मा अबड़ ताप हे।
झूठ के रंग बिरंगा महल
साँच के अब कहाँ खाप हे।
पैंजनी छन छना छन बजय।
माँगटीका हा चुपचाप हे।
फोकटे के लगय सौ बछर
पल घलो छोड़थे छाप हे।
खोजथव मंत्र माला कहाँ
प्रेम बोली घलो जाप हे।
सोच आशा हवा का करय
दीप जलथे अपन आप हे।
आशा देशमुख
*बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम*
*फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन*
*212 212 212*
आत्महत्या महा पाप हे
साँस ला जस मिले श्राप हे।
नइ बियापय सुरुज के अगिन
छल गरब मा अबड़ ताप हे।
झूठ के रंग बिरंगा महल
साँच के अब कहाँ खाप हे।
पैंजनी छन छना छन बजय।
माँगटीका हा चुपचाप हे।
फोकटे के लगय सौ बछर
पल घलो छोड़थे छाप हे।
खोजथव मंत्र माला कहाँ
प्रेम बोली घलो जाप हे।
सोच आशा हवा का करय
दीप जलथे अपन आप हे।
आशा देशमुख
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