Total Pageviews

Monday 22 June 2020

गजल -दिलीप वर्मा

गजल -दिलीप वर्मा

बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम 
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
 212 212 212 

दिन किसानी के आये हवँय।
सब बतर ला ग पाये हवँय। 

अब सुरुज देव आवय नही।
ओट बादर लुकाये हवँय। 

कोन खोले हवय केश ला।
लागे बादर ह छाये हवँय। 

खार डोली परे सोर हे।
बेंगुवा गीत गाये हवँय। 

जे किसानी करे तेन ला।
गंध माटी के भाये हवँय। 

रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़

1 comment:

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...