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Thursday, 30 May 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - अजय अमृतांशु

छत्तीसगढ़ी गजल - अजय अमृतांशु

देख ले झगरा ला थोरिक टार के ।
जीत जाबे मान बाजी  हार के ।

होत गंदा सब डहर जी गाँव हा।
देख कचरा घुरुवा मा तैं डार के।

जान लव दुनिया मा सब के हक हवे।
खाव झन दूसर के हक ला मार के

घर अपन उजियार करथस रोज गा।
देख दीया दीन के घर बार के।

मिल जथे कतको इँहा भटकाय बर।
कर अपन तैं बात सुन के चार के।

कोनो ककरो गोठ ला सुनथे कहाँ
हे फजीता गाँव घर परिवार के।

खाय हे किरिया"अजय"सिरतोन गा।
न्याय कहिहूँ नइ कहँव बेकार के ।

गजलकार - अजय अमृतांशु
भाटापारा, छत्तीसगढ़

19 comments:

  1. शानदार गजल सर

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  2. बहुत शानदार गज़ल सर

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  3. वाह वाह शानदार गजल। हार्दिक बधाई अमृतांशु जी।

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  4. शानदार गजल।हर शे'र उम्दा हावय। हार्दिक बधाई अमृतांशु जी।

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  5. बहुत शानदार सिरजन

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  6. बहुत बढ़िया ग़ज़ल भाई अजय


    आशा देशमुख

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  7. बड़ सुघ्घर सिरजन आदरणीय गुरुदेव जी 🙏🙏

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  8. बहुत बढ़िया गजल भैया जी।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे।

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  9. बहुत बढ़िया गजल,बधाई 💐

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