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Sunday, 14 June 2020

गजल- गजानन्द पात्रे

गजल- गजानन्द पात्रे

बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212   212   212

मोर छत्तीसगढ़ धाम हे ।
हाथ ला जोर परनाम हे ।।

बात कर नीति रख धरम ।
सत्य जग मा सदा दाम हे ।।

चाँद सूरज उगे सत धरा ।
लोक हित ये सुबो शाम हे ।।

भेद मनखे धरम ना करौ ।
एक ही खून तन चाम हे ।।

एक घासी कबीरा इँहे ।
यीशु रहिमन गुरू राम हे ।।

क्रोध तन मन जलाये जिया ।
मीठ बोली बने काम हे ।।

चल गजानंद पात्रे धरे ।
राह सच के लगे जाम हे ।।

गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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