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Saturday 4 July 2020

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल

बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा

बहर--212 212 212 2

वक्त हा तोला समझात का हे
तोर भेजा म आमात का हे

जॉंचले दिल लगाये के पहिली
तोर घर- बार औकात का हे

तोला लेगत हवॅंव तोर मइके
तॅंय रिसाये हवस बात का हे

देख तो भोग छप्पन खवइया
तोर बनिहार हा खात का हे

काखरो ले मया हो जही ता
पूछबे झन सगा जात का हे

भींजथौं घण्टों सावन झड़ी मा
ए फुहारा के बरसात का हे

जीत पाइस नहीं दल बदल के
अब समझगे भीतर घात का हे

निज ऊंचाई ले जादा उचक झन
देख ले हाथ अमरात का हे

फूलमाला म सुखदेव जा झन
जस ले जादा ग ममहात का हे

-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

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