छत्तीसगढ़ी गजल- (1)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
बहर- 2122 1212 22
संत गुरु ज्ञान पाठशाला हे।
सच कहौं जग तभे उजाला हे।।
मान भगवान जी ददा दाई।
पाँव गुरु के इहाँ शिवाला हे।।
देख डॉक्टर नजीर बनगे अउ।
ज्ञान गुरु पाय कोट काला हे।।
लाँघ पर्वत बड़े बड़े डारिन।
चाँद मा पाँव बीर बाला हे।।
नित गजानन्द हा करै विनती।
गुरु के महिमा बड़ा निराला हे।।
इंजी.गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल- (2)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(2122 1212 22)
पेड़ समता चलव उगाना हे।
फूल सुमता इहाँ खिलाना हे।।
राज परदेशिया चलन झन दव।
लाज मिलके अपन बचाना हे।।
पेड़ पानी जमीन कर रक्षा।
मान छत्तीसगढ़ बढ़ाना हे।।
दूर करबो चलव गरीबी मिल।
दुःख अँधियार ला मिटाना हे।।
पेट खाली रहे हमर झन अब।
रोज हर हाथ काम पाना हे।।
गाँव दिखही शहर चकाचक जी।
काम कुछ नेक कर दिखाना हे।।
कह गजानंद हाथ जोड़े जी।
थाम बइहाँ गिरे उठाना हे।।
इंजी.गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल - (3)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(2122 1212 22)
दाई छत्तीसगढ़ कहौं मइयाँ।
छाँव अँचरा तुँहर रहौं मइयाँ।।
आरती ला सजा सुमन सुमता।
तेल हित दीप भर बरौं मइयाँ।।
पाँव धोवँव महानदी अरपा।
माथ चन्दन धरा भरौं मइयाँ।।
गीत करमा मया सुवा पंथी।
फूल बन ददरिया झरौं मइँया।।
पंच कुंडी गिरौद सत धारा।
कुंभ राजिम नहा तरौं मइयाँ।।
बोल घासी कबीर जग गूँजे।
राम तुलसी बचन धरौं मइयाँ।।
ये गजानंद तोर बन बेटा।
रोज सेवा जतन करौं मइयाँ।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल- (4)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(2122 1212 22)
चल करम धाम गाँव पाबो जी।
आम बर नीम छाँव पाबो जी।।
साँस अरझे बिना ददा दाई।
रूप भगवान पाँव पाबो जी।।
मन जराथे हवा शहर के तो।
चल नदी तीर ठाँव पाबो जी।।
मीठ बोली सुनौं सखा संगी।
बचपना खेल दाँव पाबो जी।।
भाव समता उहाँ बसे भारी।
नित शहर भेद घांव पाबो जी।।
कोयली कूहके मया बोली।
पर शहर काँव काँव पाबो जी।।
जान छत्तीसगढ़ उँहे बसथे।
अउ गजानंद नाँव पाबो जी।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल - (5)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
बहर- 2122 1212 22
सच हा जग मा महान होथे जी।
झूठ के कब बखान होथे जी।।
छल कपट के भरे जमाना मा।
कोन काकर मितान होथे जी।।
मेहनत के चखौ सदा फल ला।
मीठ जइसे जुबान होथे जी।।
पाठ इंसानियत सिखावय जे।
ग्रंथ गीता कुरान होथे जी।।
देश भारत अखण्डता के हे।
सोंच हमला गुमान होथे जी।।
मान छत्तीसगढ़ धरौं मैं हा।
सुन जिहाँ खूब धान होथे जी।।
जान ले सत्यबोध गुरु बाना।
ज्ञान गुरु सब सुजान होथे जी।।
गजलकार - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
बहर- 2122 1212 22
संत गुरु ज्ञान पाठशाला हे।
सच कहौं जग तभे उजाला हे।।
मान भगवान जी ददा दाई।
पाँव गुरु के इहाँ शिवाला हे।।
देख डॉक्टर नजीर बनगे अउ।
ज्ञान गुरु पाय कोट काला हे।।
लाँघ पर्वत बड़े बड़े डारिन।
चाँद मा पाँव बीर बाला हे।।
नित गजानन्द हा करै विनती।
गुरु के महिमा बड़ा निराला हे।।
इंजी.गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल- (2)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(2122 1212 22)
पेड़ समता चलव उगाना हे।
फूल सुमता इहाँ खिलाना हे।।
राज परदेशिया चलन झन दव।
लाज मिलके अपन बचाना हे।।
पेड़ पानी जमीन कर रक्षा।
मान छत्तीसगढ़ बढ़ाना हे।।
दूर करबो चलव गरीबी मिल।
दुःख अँधियार ला मिटाना हे।।
पेट खाली रहे हमर झन अब।
रोज हर हाथ काम पाना हे।।
गाँव दिखही शहर चकाचक जी।
काम कुछ नेक कर दिखाना हे।।
कह गजानंद हाथ जोड़े जी।
थाम बइहाँ गिरे उठाना हे।।
इंजी.गजानन्द पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल - (3)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(2122 1212 22)
दाई छत्तीसगढ़ कहौं मइयाँ।
छाँव अँचरा तुँहर रहौं मइयाँ।।
आरती ला सजा सुमन सुमता।
तेल हित दीप भर बरौं मइयाँ।।
पाँव धोवँव महानदी अरपा।
माथ चन्दन धरा भरौं मइयाँ।।
गीत करमा मया सुवा पंथी।
फूल बन ददरिया झरौं मइँया।।
पंच कुंडी गिरौद सत धारा।
कुंभ राजिम नहा तरौं मइयाँ।।
बोल घासी कबीर जग गूँजे।
राम तुलसी बचन धरौं मइयाँ।।
ये गजानंद तोर बन बेटा।
रोज सेवा जतन करौं मइयाँ।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल- (4)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
(2122 1212 22)
चल करम धाम गाँव पाबो जी।
आम बर नीम छाँव पाबो जी।।
साँस अरझे बिना ददा दाई।
रूप भगवान पाँव पाबो जी।।
मन जराथे हवा शहर के तो।
चल नदी तीर ठाँव पाबो जी।।
मीठ बोली सुनौं सखा संगी।
बचपना खेल दाँव पाबो जी।।
भाव समता उहाँ बसे भारी।
नित शहर भेद घांव पाबो जी।।
कोयली कूहके मया बोली।
पर शहर काँव काँव पाबो जी।।
जान छत्तीसगढ़ उँहे बसथे।
अउ गजानंद नाँव पाबो जी।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
छत्तीसगढ़ी गजल - (5)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
बहर- 2122 1212 22
सच हा जग मा महान होथे जी।
झूठ के कब बखान होथे जी।।
छल कपट के भरे जमाना मा।
कोन काकर मितान होथे जी।।
मेहनत के चखौ सदा फल ला।
मीठ जइसे जुबान होथे जी।।
पाठ इंसानियत सिखावय जे।
ग्रंथ गीता कुरान होथे जी।।
देश भारत अखण्डता के हे।
सोंच हमला गुमान होथे जी।।
मान छत्तीसगढ़ धरौं मैं हा।
सुन जिहाँ खूब धान होथे जी।।
जान ले सत्यबोध गुरु बाना।
ज्ञान गुरु सब सुजान होथे जी।।
गजलकार - इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छ.ग.)
सादर प्रणाम गुरुदेव💐
ReplyDeleteवाह वाह बेहतरीन गजल।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भैया जी।
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteखूब भैया जी।एक ले बढ़के एक,बधाई
ReplyDeleteअनंत बधाई भाई जी,सुग्घर गज़ल👍👌💐
ReplyDeleteशानदार गजल गुरुजी।बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteशानदार गजल गुरुजी।बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत ही शानदार गजल लेखन ।हार्दिक बधाई गुरुदेव ।
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा सृजन हे भाई पात्रे
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गज़ल।सादर बधाई
ReplyDeleteशानदार गजल लेखन, गुरुदेव ।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteशानदार भैया जी,बधाई
ReplyDelete