छत्तीसगढ़ी गजल - मिलन मलरिहा
2122 2122 212
नून चाउर तेल हे, सरकार के
चाट गुप-चुप भेल हे, सरकार के
दाब चाहे झिन दबा तै बोट ला
सब बटन के खेल हे, सरकार के
जेल मा रहिके चुनाथे चोर जी
आमजन बर जेल हे, सरकार के
एक गलती नौकरी बर्खासती
नेता पेंसन पेल हे, सरकार के
देस के सैनिक खटारा बस चढ़य
मंत्री बर फ्री रेल हे, सरकार के
जाति मजहब भेद मा चाहे बटय
बोट खातिर मेल हे, सरकार के
मलरिहा जन सेवा देखावा हवय
रूपिया-ए-ठेल हे सरकार के
।
गजलकार - मिलन मलरिहा
छत्तीसगढ़
2122 2122 212
नून चाउर तेल हे, सरकार के
चाट गुप-चुप भेल हे, सरकार के
दाब चाहे झिन दबा तै बोट ला
सब बटन के खेल हे, सरकार के
जेल मा रहिके चुनाथे चोर जी
आमजन बर जेल हे, सरकार के
एक गलती नौकरी बर्खासती
नेता पेंसन पेल हे, सरकार के
देस के सैनिक खटारा बस चढ़य
मंत्री बर फ्री रेल हे, सरकार के
जाति मजहब भेद मा चाहे बटय
बोट खातिर मेल हे, सरकार के
मलरिहा जन सेवा देखावा हवय
रूपिया-ए-ठेल हे सरकार के
।
गजलकार - मिलन मलरिहा
छत्तीसगढ़
बहुत सुंदर व्यंग्यात्मक अउ सटिक गजल मलरिहा सर जी । बहुत बहुत बधाई हो ।
ReplyDeleteआभार
Deleteसुग्घर गज़ल बधाई 👍👌💐
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी जी
Deleteबहुत सुंदर ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गजल सर
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर गजल सर
ReplyDeleteनून चाउँर तेल हे सरकार के।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर जी
सुग्घर कटाक्ष करत शानदार गजल।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय भईया जी
Deleteवाहहह!बढ़िया व्यंग्यात्मक गज़ल मलरिहा सर
ReplyDeleteधन्यवाद भईया जी
Deleteजोरदार गज़ल भाई
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद आप सभो भाई मनला
ReplyDeleteगुरुदेव
ReplyDeleteप्रणाम
लाजवाब गजल मलरिहा जी।
ReplyDeleteजोरदार व सटीक व्यंग्य भाई जी
ReplyDeleteउत्कृष्ट करारा व्यंग्य। शानदार सिरजन
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गजल ।हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteवाह बहुत खूब,बधाई
ReplyDeleteजाति मजहब भेद मा चाहे बटय।
ReplyDeleteकरारा व्यंग्यात्मक गजल।