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Monday 3 June 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - मिलन मलरिहा

छत्तीसगढ़ी गजल - मिलन मलरिहा

2122      2122     212

नून चाउर तेल हे, सरकार के
चाट गुप-चुप भेल हे, सरकार के

दाब चाहे झिन दबा तै बोट ला
सब बटन के खेल हे, सरकार के

जेल मा रहिके चुनाथे चोर जी
आमजन बर जेल हे, सरकार के

एक गलती नौकरी बर्खासती
नेता पेंसन पेल हे, सरकार के

देस के सैनिक खटारा बस चढ़य
मंत्री बर फ्री रेल हे, सरकार के

जाति मजहब भेद मा चाहे बटय
बोट खातिर मेल हे, सरकार के

मलरिहा जन सेवा देखावा हवय
 रूपिया-ए-ठेल हे सरकार के

गजलकार - मिलन मलरिहा
 छत्तीसगढ़

22 comments:

  1. बहुत सुंदर व्यंग्यात्मक अउ सटिक गजल मलरिहा सर जी । बहुत बहुत बधाई हो ।

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  2. सुग्घर गज़ल बधाई 👍👌💐

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    1. धन्यवाद दीदी जी

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  3. बहुत सुंदर ग़ज़ल

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  4. बहुत ही सुंदर गजल सर

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  5. बहुत ही सुंदर गजल सर

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  6. नून चाउँर तेल हे सरकार के।
    बहुत सुन्दर सर जी

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  7. सुग्घर कटाक्ष करत शानदार गजल।हार्दिक बधाई।

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    1. धन्यवाद आदरणीय भईया जी

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  8. वाहहह!बढ़िया व्यंग्यात्मक गज़ल मलरिहा सर

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    1. धन्यवाद भईया जी

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  9. जोरदार गज़ल भाई

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  10. धन्यवाद आप सभो भाई मनला

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  11. गुरुदेव
    प्रणाम

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  12. लाजवाब गजल मलरिहा जी।

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  13. जोरदार व सटीक व्यंग्य भाई जी

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  14. उत्कृष्ट करारा व्यंग्य। शानदार सिरजन

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  15. बहुत बढ़िया गजल ।हार्दिक बधाई ।

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  16. वाह बहुत खूब,बधाई

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  17. जाति मजहब भेद मा चाहे बटय।
    करारा व्यंग्यात्मक गजल।

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