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Friday 7 June 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - सूर्यकान्त गुप्ता

छत्तीसगढ़ी गजल - सूर्यकान्त गुप्ता

2122   2122   212

छोड़  के दल एक  सब चिचियात हें।
एक  झन ला उन  बने खिसियात हें।।

लक्ठियावत  हे चुनावी दिन इहाँ।
आम  जनता  ला इहाँ  लड़ियात हें।।

वाह  खुरसी  तोर बर  कतका मया।
पाय   बर तोला  सबो जुरियात हें।।

खोय  हें बेटा   गोसइँँया माई मन।
बाँट  के उनला  रकम भुलियात हें।।

पुरगे  हावय बीस  दिन बलिदान के।
लेहे'  बर बदला  लगय ढे'रियात  हें।।

नइये  चुप दुश्मन घलो तुम जान लौ।
बइठ  के मौका  उन्हूँ सो'रियात  हें।।

'कांत'  मनखे आज  के चतुरा हवँय।
बात  जल्दी   उन कहाँ  पतियात हें।।


गजलकार -सूर्यकांत गुप्ता, 'कांत'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)

8 comments:

  1. पाँय हौं भैया के मैं आशीष जी
    भाव के कोठी मगर खलिहात हे।।
    सादर प्रणाम हे भैया....आपके
    आशीर्वाद बने रहै....
    💐💐🙏🙏🙏💐💐💐

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  2. आशुकवि भैया जी
    बेहतरीन ग़ज़ल बर बहुत बहुत बधाई


    आशा देशमुख

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  3. चुनाव मा बड़े बड़े मन निपटगे भइया। ओकरे सेती खिसियात हे ।गजल मा बहुत सुग्घर बात हे बहुत बढ़िया सूर्या भइया

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  4. जानदार शानदार,बधाई अउ नमन सर जी

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  5. बहुत बहुत बधाई हे भैयाश्री।

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  6. बेहतरीन गजल गुरुदेव, हार्दिक बधाई ।

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  7. बहुत बढ़िया गज़ल।सूर्या भैया

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  8. वाह्ह भईया जी

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