(1) छत्तीसगढ़ी गजल - आशा देशमुख
2122 2122 212
आज मनखे पेड़ जंगल काट के
घर बनावै ताल नदिया पाट के।
गाँव के सुख दुख समेटे जेन मन
आज देखौ दुर्दशा सब घाट के।
त्याग के शिक्षा बतावँय रात दिन
धन उही मन हें वसूलँय हाट के।
रेंग के आये मया के मोटरी
अब चिन्हारी हे कहाँ वो बाट के।
नींद खोजै कब बिछौना मखमली
आज भी संगी हवय वो टाट के।
वाह तोला का कहँव रे पोसवा
होत चर्चा तोर अब खुर्राट के।
पाय कुरसी जे कभू बैठे दरी।
देख आशा आज उंखर ठाट के।
(2) छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल - आशा देशमुख
बहर ,2122,,2122,,212
आव होली खेल लव रँग डार के
बैर इरखा द्वेष ला सब बार के ।
चल गिंयाँ धरबो मया के ताग ला
प्रेम सुम्मत नींव हे परिवार के।
राज जिनगी के छुपे हे रंग मा
सब अलग हे जीव मन संसार के।
ये मया के सूत्र जानव त्याग मा
जीत जाहू मान बाजी हार के।
माँग झन दे बर घलो सब सीख लव।
गुण भरव सुमता दया संस्कार के।
काम भी आये नही वरदान हा
संग धरथे जेन अत्याचार के।
सब ख़ुशी आनन्द मा डूबे हवे।
छंद के गंगा बहे सतधार के।
गजलकार - आशा देशमुख
एन टी पी सी कोरबा, छत्तीसगढ़
सादर आभार नमन गुरुदेव
ReplyDeleteआशा देशमुख
रुख के ला झन काटव,सुग्घर रूप मा गज़ल मा पियोय हव दीदी
ReplyDeleteदूसर रचना घलोक होली के मजा ला बखान करे हव
बधाई आपमन ला👍👌💐
दुनो बेहतरीन गजल। आप ला सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी जी
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी जी
ReplyDeleteवाह् दीदी...
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सिरजन करे हव दीदी
ReplyDeleteसुग्घर सिरजन दी
ReplyDeleteवाह्ह वाह्ह दीदी, बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुग्घर सिरजन दीदी
ReplyDeleteसुग्घर सिरजन दीदी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गजल हे,दीदी ।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteवाह दूनो ग़ज़ल बड़ सुग्घर हे बधाई
ReplyDeleteवाह वाह दीदी,सुघ्घर
ReplyDeleteहर एक शेर लाजवाब हे दीदी,बधाई
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