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Wednesday 5 June 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - आशा देशमुख

(1) छत्तीसगढ़ी गजल - आशा देशमुख

2122 2122 212

आज मनखे पेड़ जंगल काट के
घर बनावै ताल नदिया पाट के।

गाँव के सुख दुख समेटे जेन मन
आज देखौ दुर्दशा सब घाट के।

त्याग के शिक्षा बतावँय रात दिन
धन उही मन हें वसूलँय हाट के।

रेंग के आये मया के मोटरी
अब चिन्हारी हे कहाँ वो बाट के।

नींद खोजै कब बिछौना मखमली
आज भी संगी हवय वो टाट के।

वाह तोला का कहँव रे पोसवा
होत चर्चा तोर अब खुर्राट के।

पाय कुरसी जे कभू बैठे दरी।
देख आशा आज उंखर ठाट के।

(2) छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल - आशा देशमुख


बहर ,2122,,2122,,212

आव होली खेल लव रँग डार के
बैर इरखा द्वेष ला सब बार के ।

चल गिंयाँ    धरबो मया के ताग ला
प्रेम सुम्मत नींव हे परिवार  के।

राज जिनगी के छुपे हे रंग मा
सब अलग हे जीव मन संसार के।

ये मया के सूत्र जानव त्याग मा
जीत जाहू मान बाजी हार के।

माँग झन दे बर घलो सब सीख लव।
गुण भरव सुमता दया संस्कार के।

काम भी आये नही वरदान हा
संग धरथे जेन अत्याचार के।

सब ख़ुशी आनन्द मा डूबे हवे।
छंद के गंगा बहे सतधार के।

गजलकार - आशा देशमुख
एन टी पी सी कोरबा, छत्तीसगढ़

15 comments:

  1. सादर आभार नमन गुरुदेव

    आशा देशमुख

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  2. रुख के ला झन काटव,सुग्घर रूप मा गज़ल मा पियोय हव दीदी
    दूसर रचना घलोक होली के मजा ला बखान करे हव
    बधाई आपमन ला👍👌💐

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  3. दुनो बेहतरीन गजल। आप ला सादर बधाई

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  4. वाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी जी

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  5. वाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी जी

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  6. बहुत सुग्घर सिरजन करे हव दीदी

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  7. सुग्घर सिरजन दी

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  8. वाह्ह वाह्ह दीदी, बहुत बढ़िया

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  9. सुग्घर सिरजन दीदी

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  10. सुग्घर सिरजन दीदी

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  11. बहुत बढ़िया गजल हे,दीदी ।हार्दिक बधाई

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  12. वाह दूनो ग़ज़ल बड़ सुग्घर हे बधाई

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  13. वाह वाह दीदी,सुघ्घर

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  14. हर एक शेर लाजवाब हे दीदी,बधाई

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