चोवा राम "बादल": छत्तीसगढ़ी गजल
छत्तीसगढ़ी गजल (1)
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
मोह माया ले अपन मुख मोड़ के
रेंग दिस पुरखा सबो ला छोड़ के।
आज बेटा हा उराठिल हे कहे
बाप के हिरदे ल रट ले तोड़ के ।
झन भरोसा आन के करबे गड़ी
कर भरोसा हाथ खुद के गोड़ के ।
भाग जाहीं उन सबो हुशियार मन
ठीकरा ला तोर मूँड़ी फोड़ के ।
नींद भाँजत हे अजी रखवार हा
चल उठाबो जोर से झंझोड़ के ।
पेट भर जी अन्न पानी मिल जही
काय करबे दाँत चाबे जोड़ के ।
फेंक देही जेन ला माने अपन
देख "बादल" तोर जर ला कोड़ के
चोवा राम "बादल "👍
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (2)
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
बात ला तैं गोठियाना फोर के।
बोल जी सच ला बने दंदोर के ।
पाँच परगट रेंग रद्दा साफ तँय
मुँह लुकाना काम होथे चोर के।
का चरे ला छोड़ देही खेत ला
कोन करही जी भरोसा ढोर के।
देख हमला फेर कर दिच पाक हा
मन भरे नइये अभी लतखोर के।
पेड़ ला सब काट के हम सोचथन
कोइली हा गीत गावय भोर के ।
पाट के नरवा ल अब पछतात हन
मौत आगे हे कुआँ अउ बोर के।
ले जगा बखरी ल मौका हे मिले
साग ताजा राँध लेबे टोर के।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (3)
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
खोंट ला धो लव मया के धार मा।
आत्मा ला रंग लव त्योहार मा।
आज होली के परब हावय सुघर
पेड़ एको ठन लगादव पार मा ।
खेत मा अबड़े दवा डारत हवँन
स्वाद चिटको नइये* चाउँर दार मा।
जोर ले दू चार पैसा आज ले
काम आही एक दिन परिवार मा।
बात घर के दोब के तैं राख ले
फोकटइहा चाल झन गा चार मा।
रास्ता ला तैं गलत पकड़े हवच
धन लुटावत हच शहर के बार मा ।
खोज झन भगवान ला पगलाय कस
शांत हो जा मिल जही घर द्वार मा ।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (4)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
मोर घर मा कहाँ उदासी हे।
भोग छप्पन बनेच बासी हे।
चार मंजिल हवय ठिकाना हा
चोरहा के उहें तलासी हे।
छेद करही अभी करेजा मा
गोठ के वो धरे पटासी हे।
ढार दारू गिलास मा तैं हा
आज मन मा अबड़ थकासी हे।
देख मंत्री बने हवय अड़हा
मोर बेटा पढ़े खलासी हे।
खेत मजदूर के हवे भाँठा
गौंटिया के बने मटासी हे।
होम मा हाथ हा जरे "बादल"
झन बता तैं सुने म हाँसी हे।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (5)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 12 12 22
हाँके तैं बिन लगाम के संगी ।
गाड़ी गिरगे धड़ाम ले संगी।
ताना मारे बिना बिचारे गा
फेंके चिखला खुदे सने संगी।
बिरथा हावय धरम दिखावा ये
दान लालच म तैं दिये संगी।
कोन हे ठगवा गम कहाँ पाबे
संत कस चोला हे सजे संगी ।
काटे जंगल सड़क बना डारे
भादो मा भोंभरा जरे संगी।
राग धरके बजा बजा ढपली
नारा ला भोथरा गढ़े संगी।
मूंद लवँ कान हा पिरागे हे
तोर भाषण अबड़ रथे संगी।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (6)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
काम डिगरी ह नइ तो आवत हे।
रोज पनही बहुत घिसावत हे ।
हाथ बर काम बूता नइये कुछु
कारखाना मशीन लावत हे।
जतका ठन हे अनार के फर हा
पइसा वाला खरीद खावत हे।
ठलहा बेटा पढ़े लिखे हावय
शादी ओकर कहाँ हो पावत हे।
छाय हावय नवा चलागन हा
घानी धुँकनी इहाँ नँदावत हे।
भूँखहा बोमफार के रोवय
पेट जेकर भरे वो गावत हे ।
जीव लेवा हवा भरे धुँगिया
देख "बादल " घलो नठावत हे।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (7)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
प्यार मा जेन मात खाये हे
फाँसी चढ़ जान ला गँवाये हे
आय जिनगी निचत जहर कड़वा
मीठ हे कोन हा बताये हे
गोठ फोकट करे हवय ओहा
चाँद ला कोन तोड़ लाये हे
देश बर बूंद भर लहू नइये
तोर बर खून ला बहाये हे
ऐन मौका लुका छटक देइच
छाती जब्बर अपन बताये हे
झाँक धनवान के महल भीतर
कोन सरकार हा बँधाये हे
का भरोसा जुबान के ओकर
मूँड़ डोला कहाँ निभाये हे
गजलकार - चोवा राम "बादल "
हथबन्द, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ी गजल (1)
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
मोह माया ले अपन मुख मोड़ के
रेंग दिस पुरखा सबो ला छोड़ के।
आज बेटा हा उराठिल हे कहे
बाप के हिरदे ल रट ले तोड़ के ।
झन भरोसा आन के करबे गड़ी
कर भरोसा हाथ खुद के गोड़ के ।
भाग जाहीं उन सबो हुशियार मन
ठीकरा ला तोर मूँड़ी फोड़ के ।
नींद भाँजत हे अजी रखवार हा
चल उठाबो जोर से झंझोड़ के ।
पेट भर जी अन्न पानी मिल जही
काय करबे दाँत चाबे जोड़ के ।
फेंक देही जेन ला माने अपन
देख "बादल" तोर जर ला कोड़ के
चोवा राम "बादल "👍
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (2)
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
बात ला तैं गोठियाना फोर के।
बोल जी सच ला बने दंदोर के ।
पाँच परगट रेंग रद्दा साफ तँय
मुँह लुकाना काम होथे चोर के।
का चरे ला छोड़ देही खेत ला
कोन करही जी भरोसा ढोर के।
देख हमला फेर कर दिच पाक हा
मन भरे नइये अभी लतखोर के।
पेड़ ला सब काट के हम सोचथन
कोइली हा गीत गावय भोर के ।
पाट के नरवा ल अब पछतात हन
मौत आगे हे कुआँ अउ बोर के।
ले जगा बखरी ल मौका हे मिले
साग ताजा राँध लेबे टोर के।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (3)
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
खोंट ला धो लव मया के धार मा।
आत्मा ला रंग लव त्योहार मा।
आज होली के परब हावय सुघर
पेड़ एको ठन लगादव पार मा ।
खेत मा अबड़े दवा डारत हवँन
स्वाद चिटको नइये* चाउँर दार मा।
जोर ले दू चार पैसा आज ले
काम आही एक दिन परिवार मा।
बात घर के दोब के तैं राख ले
फोकटइहा चाल झन गा चार मा।
रास्ता ला तैं गलत पकड़े हवच
धन लुटावत हच शहर के बार मा ।
खोज झन भगवान ला पगलाय कस
शांत हो जा मिल जही घर द्वार मा ।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (4)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
मोर घर मा कहाँ उदासी हे।
भोग छप्पन बनेच बासी हे।
चार मंजिल हवय ठिकाना हा
चोरहा के उहें तलासी हे।
छेद करही अभी करेजा मा
गोठ के वो धरे पटासी हे।
ढार दारू गिलास मा तैं हा
आज मन मा अबड़ थकासी हे।
देख मंत्री बने हवय अड़हा
मोर बेटा पढ़े खलासी हे।
खेत मजदूर के हवे भाँठा
गौंटिया के बने मटासी हे।
होम मा हाथ हा जरे "बादल"
झन बता तैं सुने म हाँसी हे।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (5)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 12 12 22
हाँके तैं बिन लगाम के संगी ।
गाड़ी गिरगे धड़ाम ले संगी।
ताना मारे बिना बिचारे गा
फेंके चिखला खुदे सने संगी।
बिरथा हावय धरम दिखावा ये
दान लालच म तैं दिये संगी।
कोन हे ठगवा गम कहाँ पाबे
संत कस चोला हे सजे संगी ।
काटे जंगल सड़क बना डारे
भादो मा भोंभरा जरे संगी।
राग धरके बजा बजा ढपली
नारा ला भोथरा गढ़े संगी।
मूंद लवँ कान हा पिरागे हे
तोर भाषण अबड़ रथे संगी।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (6)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
काम डिगरी ह नइ तो आवत हे।
रोज पनही बहुत घिसावत हे ।
हाथ बर काम बूता नइये कुछु
कारखाना मशीन लावत हे।
जतका ठन हे अनार के फर हा
पइसा वाला खरीद खावत हे।
ठलहा बेटा पढ़े लिखे हावय
शादी ओकर कहाँ हो पावत हे।
छाय हावय नवा चलागन हा
घानी धुँकनी इहाँ नँदावत हे।
भूँखहा बोमफार के रोवय
पेट जेकर भरे वो गावत हे ।
जीव लेवा हवा भरे धुँगिया
देख "बादल " घलो नठावत हे।
चोवा राम "बादल "
हथबन्द (छग)
छत्तीसगढ़ी गजल (7)
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
प्यार मा जेन मात खाये हे
फाँसी चढ़ जान ला गँवाये हे
आय जिनगी निचत जहर कड़वा
मीठ हे कोन हा बताये हे
गोठ फोकट करे हवय ओहा
चाँद ला कोन तोड़ लाये हे
देश बर बूंद भर लहू नइये
तोर बर खून ला बहाये हे
ऐन मौका लुका छटक देइच
छाती जब्बर अपन बताये हे
झाँक धनवान के महल भीतर
कोन सरकार हा बँधाये हे
का भरोसा जुबान के ओकर
मूँड़ डोला कहाँ निभाये हे
गजलकार - चोवा राम "बादल "
हथबन्द, छत्तीसगढ़
वाह्ह्ह्ह्ह् बादल गुरुदेव एक ल बड़के एक गजल
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद भाई।
DeleteBahut badiya aadarniy
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteवाह वाह गुरुदेव आपके जवाब नइ हे लाजवाब ग़ज़ल होय हे
ReplyDeleteधन्यवाद चन्द्राकर जी।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुग्घर गजल आदरणीय गुरुदेव बादल जी
ReplyDeleteधन्यवाद वीरेंद्र भाई जी।
Deleteवाह्ह वाह्ह ! ग़ज़ल के बढ़िया लरी हे ,बधाई बादल भैया जी
ReplyDeleteप्रोत्साहन बर हार्दिक आभार।
Deleteअद्धभुत लेखनी ला नमन हे भैया जी
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो
हार्दिक आभार आशा देशमुख बहिनी जी।
Deleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह गुरुजी।शानदार गजल
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद।
Deleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह गुरुजी।शानदार गजल
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञानु भाई जी।
Deleteबहुत सुग्घर संग्रह आदरणीय गुरुदेव👍👌💐
ReplyDeleteप्रेरणादायक बधाई आपमन ला
हार्दिक आभार आदर.आजाद जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर अउ अनुकरणीय गजल हे, गुरुदेव बादल जी ।हार्दिक बधाई ।सादर नमन ।
ReplyDeleteअनुकरणीय शानदार जानदार गजल
ReplyDeleteआपके ग़ज़ल म सत्य के दर्शन हे।
ReplyDeleteशानदार गजल लेखन अउ संकलन होय हे गुरुदेव ।हार्दिक बधाई ।सादर नमन ।
ReplyDelete