Total Pageviews

Monday 24 June 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - दुर्गाशंकर इजारदार

दुर्गाशंकर इजारदार: छत्तीसगढ़ी गजल (1)

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122,1212,22

आज सच के कहाँ पुछारी हे ।
झूठ के नाम बड़ ग भारी हे ।।

साव पाछू पुलिस पड़े हावै ।
चोर के संग मा ग यारी हे ।।

ढीठ बइला चरे हरा चारा ।
पीठ सिधवा परे तुतारी हे ।।

झूठ के वाह जेन ला भावय।
बात सच लागथे ग गारी हे ।।

रहिबे कुसियार तँय बने कब तक ।
अब तो' रे जाग तोर पारी हे ।।

भूख अउ प्यास के फिकर झन कर ।
सत्ता मा हाँव हाँव जारी हे ।।

बेंदरा बन उजाड़ डारिस वो ।
जेकरे नाम कोटवारी हे ।।

दुःख पीरा हरे के हे वादा,
सुक्खा नदियाँ बहान जारी हे ।।

बात कइसे ग सच कहय दुर्गा ,
ओकरे बर तो सच ह चारी हे ।।

दुर्गा शंकर इजारदार : छत्तीसगढ़ी गजल (2)

2122,1212,22

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

आज कल के  गजब कहानी हे ।
सास ले अब बहू सयानी हे ।।

पत्नि गौंटिन कहात हावय अउ ।
घर म दाई तो नौकरानी हे ।।

ढोलगी हर भरे हवै ओकर ।
जेकरे बात मा लमानी हे ।।

मुखिया हावय उपास वो घर मा ।
नाम मा जेकरे किसानी हे ।।

बीत गे हे उमर ढलाई मा ।
ओकरे छत खदर के छानी हे ।।

खेत डोली बहे जिहाँ नदिया ।
उँहचे बोतल भराय पानी हे ।।

होत हे सब जथर कथर दुर्गा ।
अब कहाँ घोर घोर रानी हे ।।


दुर्गाशंकर इजारदार: छत्तीसगढ़ी गजल (3)

बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

 2122,2122,212

घोप दे हे छल कपट के नार हा ,
मतलबी होगे सरी संसार हा ।।

कारखाना तो बनत हावय बहुत ,
अब कहाँ फरही जी तेन्दू चार हा ।।

बाप बेटा मा कहाँ दिखथे मया
ठाढ़ सुक्खा हे मया  के टार हा ।।

कोन उठथे देख के सुकवा इहाँ ,
अब कहाँ गोबर लिपाथे द्वार हा ।।

हे समय दुर्गा अभी भी चेत तँय ,
बाँच जाही जी टुटे बर डार हा ।।

दुर्गाशंकर इजारदार : छत्तीसगढ़ी गजल (4)

बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

2122,2122,212

का बतावँव देश के का हाल हे ,
चोर डाकू मन तो' मालामाल हे ।।

कोलिहा तो सान मारत हे इँहा ,
ओढ़ के तो देख बघवा खाल हे ।।

सौंप देंहन हाथ मा बारी सबो ,
बेंदरा कस तो चलत अब चाल हे ।।

बाँध दारे धार ला वो बात मा ,
गोठ मा नेता कहाँ कंगाल हे ।।

गोठ करथे मीठ शक्कर घोर वो ,
मन भरे हे नार फाँसा जाल हे ।।

छाँव मिलथे जी कहाँ रुख ताल में,
ढूलथे पानी सदा जी ढाल हे ।।

गजलकार - दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़, छत्तीसगढ़

16 comments:

  1. बहुत ही शानदार गजल संग्रह सर। बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  2. बहुत ही शानदार गजल संग्रह सर। बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  3. बधाई हो भाई सुग्घर संग्रह👍👌💐

    ReplyDelete
  4. बहुत सुघ्घर ग़ज़ल हे भाई


    आशा देशमुख

    ReplyDelete
  5. बड़ सुग्घर गजल, बधाई हो।।

    ReplyDelete
  6. शानदार जानदार गजल,,बधाई

    ReplyDelete
  7. शानदार गजल

    ReplyDelete
  8. बहुत सुग्घर गजल आदरणीय। हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे ।

    ReplyDelete

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...