छत्तीसगढ़ी गजल - मोहन लाल वर्मा
2122 2122 212
मँय मयारू तोर अँव पहिचान ले ।
मोर हिरदे के मया ला जान ले ।।
रूप हे चंदा सहीं मन मोहनी,
भेंट माँगे का हवस भगवान ले ?
कर भरोसा मँय दगा देवँव नहीं,
चल कछेरी मा लिखा ईमान ले ।
मोर पबरित हे मया संसार मा,
जस निकलथे सोन-हीरा खान ले।
झाँक के तँय देख ले इतिहास मा,
नइ घुँचे हावँव कभू मैदान ले।
भागमानी तोर बेटा आँव मँय,
रोज लहराथँव तिरंगा शान ले।
मोर जिनगी के अँजोरी पाख तँय ,
आज ये "मोहन" कहय ऊँचान ले।
गजलकार - मोहन लाल वर्मा
अल्दा, जिला - रायपुर, छत्तीसगढ़
बहुत खूब गुरुदेव जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय ।
DeleteSughar he
Deleteसादर प्रणाम गुरुदेव ।आपके आशीष के सद्परिणाम आय जेन विधान मा छत्तीसगढ़ी छंद के संग छत्तीसगढ़ी गजल लिख पाय हँव ।
ReplyDeleteसुग्घर ग़ज़ल
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर ग़ज़ल हे भाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबेहतरीन गजल। गजब के भाव। हार्दिक बधाई हे मोहन भाई जी ला।
ReplyDeleteसादर प्रणाम ।गुरुदेव
Deleteवाहहह् गजब सुग्घर गज़ल लिखे हव मोहन सर।बधाई हे
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत बढ़िया गजल
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
महेन्द्र देवांगन माटी
आभार माटी जी
DeleteBahut sunder
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत सुंदर भाई।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय सर जी
Deleteबहुत सुन्दर भाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुते सुघ्घर लिखे हवाच मोहन भाई
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत खूब सराहनी बधाइयां शुभकामनाएँ
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत बेहतरीन गज़ल गुरुदेव हार्दिक बधाइयाँ
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसुग्घर गज़ल बर आपमन ला अनंत बधाई भाई👌👍💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार दीदी जी
Deleteअब्बड़ सुग्घर ग़जल गुरुदेव
ReplyDeleteगाड़ा गाड़ा बधाई
धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत अच्छा है भैया जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteउत्कृष्ट अद्भुत प्रस्तुति आदरणीय गुरुदेव जी 🙏🙏🙏 सादर पयलगी 🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार साहू जी
Deleteबहुत ही शानदार गजल सर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय सर जी
Deleteजबरदस्त भाई साहेब
ReplyDeleteआभार आदरणीय
Deleteबहुत बढिया गुरुजी। उत्कृष्ट गजल।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteसुग्घर
ReplyDeleteसादर नमन गुरुदेव
Deleteबहुत खूब। शानदार गजल
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय सर जी
Deleteसुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसुग्घर गजल गुरुदेव
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुते बढ़िया सृजन सर जी।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय सर जी
Deleteअबड़ सुग्घर
ReplyDeleteसुग्घर भाव परक रचना भैया जी बहुत बढ़िया
ReplyDeleteहार्दिक आभार
DeleteBahut khoob bhaiya ji ...
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत सुन्दर गजल मोहन भाई
ReplyDeleteआभार आदरणीय सर जी
Deleteबहुत सुंदर सृजन गुरुदेव
ReplyDeleteराज कुमार बघेल
आभार आदरणीय
Deleteशानदार गजल सर जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
DeleteVery nice gazal
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय
DeleteShashibhushan Verma. Mohan sir ji very nice gazal.
ReplyDeleteप्रणाम गुरुदेव ।हार्दिक आभार
Deleteसुग्घर रचना भैय्याजी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
DeleteBahut sugghar rachna he padh ke man gadgad ho ge Mohan bhai hamar chhattisgarhi la samman ke sath nava uchai ma pahuchabo ihi shubhkamna aur Badhai
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteआप सबो के मया आशीष के प्रतिफल आय आदरणीय ।हार्दिक आभार
ReplyDeleteअबड सुन्दर रचना हे भैया अईसनेहे रचना करत रहीबे
ReplyDeleteआप सभी के मया आशीष सदा मिलत रहय।
Deleteसुन्दर रचना है भाई
ReplyDeleteअबड सुन्दर रचना है भाई
ReplyDeleteटाप लाल वर्मा
धन्यवाद आदरणीय सर जी
Deleteका गजब के गजल हे, बधाई भैया जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय सर जी
Deleteशानदार वजनदार गजल,बधाई हो।
ReplyDeleteआभार आदरणीय ।
Deleteआभार आदरणीय सर जी ।
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