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Thursday, 27 June 2019

छत्तीसगढ़ी गजल - अजय अमृतांशु

छत्तीसगढ़ी गजल - अजय अमृतांशु

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन

2122   1212   22

तोर सुग्घर करम के ये फल हे ।
रुख लगाये बने तभे जल हे।

पेंड झन काट बनके बइहा तैं।
पेंड हे सिरतो मा तभे कल हे।

चेत झन जाय बिरथा पानी हा।
पानी ले मनखे के सबो बल हे।

आय गरमी सबो हवय प्यासे।
झार सूखा परे हवय नल हे।

पानी ला तैं बचा के रख भाई।
तोर संकट के अतके जी हल हे।

राख ले तैं सहेज के सब ला।
आज के तोर कीमती पल हे।

गजलकार - अजय अमृतांशु
भाटापारा, छत्तीसगढ़

15 comments:

  1. सुग्र करम करना चाही..सुग्घर संदेश आदरणीय बधाई आपमन ला👍👌💐

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  2. शानदार गजल, अमृतांशु जी ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे ।

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  3. बहुत बहुत बधाई हो भाई अजय

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  4. गजब सुग्घर गजल सर

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  5. बहुत बढिया संदेश देवत गजल अमृतांशु भाई बधाई आप ला

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  6. बढ़िया संदेश देवत..उम्दा ग़ज़ल

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  7. संदेश परक सुग्घर गज़ल सर

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  8. धन्यवाद मितान जी

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  9. धन्यवाद मितान जी

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