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Sunday 26 April 2020

गजल-चोवाराम वर्मा बादल

गजल-चोवाराम वर्मा बादल

बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन

221 1222 221 1222

रेंगत हे गलत रस्ता इंसान भटक जाही
 इरखा के हवय चिखला जिनगी ह अटक जाही

 हे जेब में पइसा तब ममहात सबो ला हे
 तैं देख अभी किरनी दू चार चटक जाही

 सरकारी हवय पइसा जोहत हे इहाँ कतको
आधा ल बताथे उन बड़का  ह गटक जाही

 वो मोर बने उड़थे सब बाग बगइचा मा
आँखी म शिकारी के उड़ना ह खटक जाही

 बइहाय हवच काबर कुछ काम बुता कर तैं
 मन तोर लुभा के वो तितली ह मटक जाही

  घेरे हे गरीबी हा दाईज हे उन माँगे
 होगे  हे फिकर भारी का बाप झटक जाही

 'बादल' ह थिरागे अब हे क्वांर सुघर आये
 ले सीत परत हावय सब धान छटक जाही

गजलकार---चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़

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