Total Pageviews

Wednesday 29 April 2020

ग़ज़ल---चोवा राम 'बादल'

ग़ज़ल---चोवा राम 'बादल'

बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122  122 122 122

सिखाथे बहुत जिंदगी हा सबो ला
खड़ा करथे चौराहा मा ला सबो ला

धरे माथा जेहा सदा बइठे वोकर
घुना कस पचाथे फिकर खा सबो ला

नँगावत हवैं उन बहाना बनाकें
खजेना धराके खजाना सबो ला

वो पुन्नी के चंदा बुले आज आही
गली चौंरा अँगना सजाना सबो ला

अपन दुख भुलाके जे हा मुस्कुराथे
खुशी बाँट देथे उही भा सबो ला

कहूँ प्यार सच्चा करे तैं हा होबे
लड़ाई जबर लड़ हराना सबो ला

अबड़ लद्दी फदके हवय दुनिया भीतर
बरस कसके 'बादल' बहा ना सबो ला

गजलकार --चोवा राम 'बादल'
हथबन्द
बलौदाबाजार
छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...