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Thursday, 30 April 2020

ग़ज़ल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


ग़ज़ल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

122  122  122  122

इँहा झूठ मनखे के सब काम होगे ।
चले सत्य मारग वो बदनाम होगे ।।

धरे भेष रावण दिखे कंस शकुनी ।
अछप राम बलदाऊ घनश्याम होगे ।।

फिरे आज परलोकिहा दोगला मन ।
तभे फेर सुख बेरा दुख घाम होगे ।।

जगाये चलौ भाग छत्तीसगढ़ के ।
हमर मेहनत फोकला दाम होगे ।।

कहाँ मान हे सन्त ज्ञानी बबा के ।
धरम मा बँटे देवता धाम होगे ।।

दगाबाज आये नहीं करके वादा ।
डहर तोर जोहत सुबे शाम होगे ।।

गजानंद विश्वास आशा धरिस हे ।
तभे आज मशहूर ये नाम होगे ।।


गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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