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Sunday 26 April 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-मिलन मिलरिहा

छत्तीसगढ़ी गजल-मिलन मिलरिहा

बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फउलुन फउलुन फउलुन
122 122 122

ये जिनगी के नइहे ठिकाना
ये सत हे जी नोहै बहाना

ना कोनो अमर हे इहाँ जी
का चंदा का सूरज बताना

कमाले बनाले जी कतको
सबो ला मढ़ा के हे जाना

मजा ले, हे अनमोल जिनगी
इही तो हमर हे खजाना

गरब टाँगदे खूँटी मा तैं
बनाले सबो ला दिवाना

समै नइ रुकय काकरो बर
सदा तो रहै ये जमाना

धरा मा जे आये इहाँ जी
करम अंत माटी समाना

जड़े सोनहा लंका ढह गे
ये किस्सा हे बिक्कट पुराना

मलरिहा ये धन सब गवाँही
इहाँ नाम ला बस कमाना।

मिलन मलरिहा

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