छत्तीसगढ़ी गजल-मिलन मिलरिहा
बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फउलुन फउलुन फउलुन
122 122 122
ये जिनगी के नइहे ठिकाना
ये सत हे जी नोहै बहाना
ना कोनो अमर हे इहाँ जी
का चंदा का सूरज बताना
कमाले बनाले जी कतको
सबो ला मढ़ा के हे जाना
मजा ले, हे अनमोल जिनगी
इही तो हमर हे खजाना
गरब टाँगदे खूँटी मा तैं
बनाले सबो ला दिवाना
समै नइ रुकय काकरो बर
सदा तो रहै ये जमाना
धरा मा जे आये इहाँ जी
करम अंत माटी समाना
जड़े सोनहा लंका ढह गे
ये किस्सा हे बिक्कट पुराना
मलरिहा ये धन सब गवाँही
इहाँ नाम ला बस कमाना।
मिलन मलरिहा
बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फउलुन फउलुन फउलुन
122 122 122
ये जिनगी के नइहे ठिकाना
ये सत हे जी नोहै बहाना
ना कोनो अमर हे इहाँ जी
का चंदा का सूरज बताना
कमाले बनाले जी कतको
सबो ला मढ़ा के हे जाना
मजा ले, हे अनमोल जिनगी
इही तो हमर हे खजाना
गरब टाँगदे खूँटी मा तैं
बनाले सबो ला दिवाना
समै नइ रुकय काकरो बर
सदा तो रहै ये जमाना
धरा मा जे आये इहाँ जी
करम अंत माटी समाना
जड़े सोनहा लंका ढह गे
ये किस्सा हे बिक्कट पुराना
मलरिहा ये धन सब गवाँही
इहाँ नाम ला बस कमाना।
मिलन मलरिहा
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