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Tuesday 28 April 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-अजय अमृतांसु

छत्तीसगढ़ी गजल-अजय अमृतांसु

बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फऊलुन फऊलुन फऊलुन
बहर - 122    122    122

आज मोला कोन हा भरमाय हे।
नेवता दे के अपन पछवाय हे।

ज्ञान बाँटय जेन सिरतो गाँव मा।
आज कइसे भीड़ मा सकुचाय हे।

दूरिहा ले भाग जाथे देख के।
आज काबर मोला वो बलवाय हे।

वो भरोसा नइ करय अब बात के।
देख कोरा पन्ना मा लिखवाय हे।

नाश करथे ये नशा है जानथे ।
फेर पी के आज वो भकवाय हे।

गजलकार - अजय अमृतांशु
भाटापारा, छत्तीसगढ़

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