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Wednesday, 29 April 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-मोहन लाल वर्मा*

* छत्तीसगढ़ी गजल-मोहन लाल वर्मा*

बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

अरकान- 122   122   122

सबल होगे हें आज नारी ।
चिटिक बात नोहय लबारी ।

नवा राज आही सुमत के,
लहुट के हमर घर दुवारी ।

उड़ा जाही पंछी बिपत के,
बिटोवय नही निंदा-चारी ।

नदी पार जाही उही हा,
चढ़े जेन डोंगा सवारी ।

नगद मा बिसा के जिनिस ला,
बता कोन लेथे उधारी ।

चढ़य झन नशा दुश्मनी के,
रखे हँव मैं करके तियारी ।

धरे हाथ बंदूक "मोहन"
बने हे सिवाना पुजारी ।

गज़लकार - मोहन लाल वर्मा
पता- ग्राम-अल्दा, तिल्दा, रायपुर
(छत्तीसगढ़)

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