Total Pageviews

Thursday 30 April 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"

छत्तीसगढ़ी गजल-जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"

बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

अरकान-122 122 122 122 

भरोसा म टिकथे मितानी सबे दिन।
जुआ तास ताये किसानी सबे दिन।1

फिकर छोड़ कल के करे तैं करम रे।
दिही साथ का पुरवा पानी सबे दिन।2

अपन के मया मोह अपनेच होथे।
खवाही का दूसर खजानी सबे दिन।3

पलोबे कहूँ खेत बारी म पानी।
भरे बर ता लगही लगानी सबे दिन।4

बदलथे समै देख बचपन जवानी।
रहे नइ धरा धाम धानी सबे दिन।5

नँवे पेड़ नइ तौन टूटय हवा मा।
धरे रेंगबे झन गुमानी सबे दिन।6

बहुरथे घलो दिन ह घुरवा के भैया।
लगाये नही दुःख बानी सबे दिन।7

नयन नित उघारे समय देख चलबे।
कहाबे ये जग मा गियानी सबे दिन।8

करम कर ले अइसे कि जाने जमाना।
कही तोर सब झन कहानी सबे दिन।9

गजलकार-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...