छत्तीसगढ़ी गजल-गजानन्द पात्रे सत्यबोध
बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान-122 122 122 122
हवे धन्य छत्तीसगढ़ राज मइँया ।
परौं पाँव तोरे महूँ आज मइँया ।।
सबो ला दुलारे अपन गोद राखे ।
रखे छाँव अँचरा मया साज मइँया ।।
जिहाँ संत घासी कबीरा के बानी ।
रखे राम शबरी जिहाँ लाज मइँया ।।
चना धान गेहूँ उगे तिंवरा अउ ।
किसानी हमर देश के नाज मइँया ।।
गजानंद पुरखा के बाना धरे चल ।
बँधे फेर छत्तीसगढ़ ताज मइँया ।।
गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )
गज़ब सुग्घर ग़ज़ल सर
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