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Wednesday, 29 April 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-गजानन्द पात्रे सत्यबोध



छत्तीसगढ़ी गजल-गजानन्द पात्रे सत्यबोध

बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

अरकान-122 122 122 122 

हवे धन्य छत्तीसगढ़ राज मइँया ।
परौं पाँव तोरे महूँ आज मइँया ।।

सबो ला दुलारे अपन गोद राखे ।
रखे छाँव अँचरा मया साज मइँया ।।

जिहाँ संत घासी कबीरा के बानी ।
रखे राम शबरी जिहाँ लाज मइँया ।।

चना धान गेहूँ उगे तिंवरा अउ ।
किसानी हमर देश के नाज मइँया ।।

गजानंद पुरखा के बाना धरे चल ।
बँधे फेर छत्तीसगढ़ ताज मइँया ।।

गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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