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Wednesday, 29 April 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-आशा देशमुख

छत्तीसगढ़ी गजल-आशा देशमुख

बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122

सुनत रात भर सब कहानी सिरागे
बोहावत नयन धार पानी सिरागे।

न परिवार भाये न सुख मा बुढापा
कमावत सकेलत जवानी सिरागे।

इहाँ रोज स्वारथ भरत हे तिजोरी
दया के संगेसंग दानी सिरागे।

जिहां देख बइठे उहाँ झूठ कुरसी
धरम ज्ञान सच के सियानी सिरागे।

भुलाये गली गाँव जाके शहर मा
मया मान पुरखा निशानी सिरागे।

करम आय मालिक करम आय नौकर
वो तइहा के सब राजरानी सिरागे।

बड़े जान घर हे न कोठा न बइला।
अरा रा तता ता किसानी सिरागे।

आशा देशमुख

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