ग़ज़ल-ज्ञानु
बहरे मुतकारिब मुसम्मन मक्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
अपन राग डफ़ली सुहाथे गज़ब
अपन हाथ राँधे मिठाथे गज़ब
बखत जब परे काम आवय नही
मया फेर सब झन जताथे गज़ब
मचाये हवय लूट व्यापारी मन
कही ले ग कीमत लगाथे गज़ब
हवय लॉकडाउन शहर गाँव मा
मयारू मिले बर बुलाथे गज़ब
बबा मेर जाथौं कभू मैं बइठ
कथा सत कहानी सुनाथे गज़ब
बड़े आदमी मनके बातें अलग
ग झन पूछ नखरा दिखाथे गज़ब
इहाँ 'ज्ञानु' चलनी दुहय दूध जें
करम ला अपन बस ठठाथे गज़ब
ज्ञानु
बहरे मुतकारिब मुसम्मन मक्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
अपन राग डफ़ली सुहाथे गज़ब
अपन हाथ राँधे मिठाथे गज़ब
बखत जब परे काम आवय नही
मया फेर सब झन जताथे गज़ब
मचाये हवय लूट व्यापारी मन
कही ले ग कीमत लगाथे गज़ब
हवय लॉकडाउन शहर गाँव मा
मयारू मिले बर बुलाथे गज़ब
बबा मेर जाथौं कभू मैं बइठ
कथा सत कहानी सुनाथे गज़ब
बड़े आदमी मनके बातें अलग
ग झन पूछ नखरा दिखाथे गज़ब
इहाँ 'ज्ञानु' चलनी दुहय दूध जें
करम ला अपन बस ठठाथे गज़ब
ज्ञानु
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