ग़ज़ल-ज्ञानू
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान-122 122 122 122
पढ़े हस लिखे हस वृथा ज्ञान मत कर
अपन बुद्धि अउ बल के अभिमान मत कर
कहू दान करना हे भूखा ला कुछु दे
ये मंदिर ये मस्जिद कभू दान मत कर
कभू नानचुक पद मिलय तोला भाई
इहाँ खुद ला सच छोड़ शैतान मत कर
सदा दूर रहना चुगलखोर मन ले
करय कोनो ओती अपन कान मत कर
अपन काम मा बस मगन रहना संगी
बुराई करय कोनो ता ध्यान मत कर
जनम पाय मनखे दिखा बनके मनखे
अपनआप ला स्वंभु भगवान मत कर
सता झन इहाँ तँय कभू दीन दुखिया
सता के बुरा 'ज्ञानु' पहचान मत कर
ज्ञानु
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान-122 122 122 122
पढ़े हस लिखे हस वृथा ज्ञान मत कर
अपन बुद्धि अउ बल के अभिमान मत कर
कहू दान करना हे भूखा ला कुछु दे
ये मंदिर ये मस्जिद कभू दान मत कर
कभू नानचुक पद मिलय तोला भाई
इहाँ खुद ला सच छोड़ शैतान मत कर
सदा दूर रहना चुगलखोर मन ले
करय कोनो ओती अपन कान मत कर
अपन काम मा बस मगन रहना संगी
बुराई करय कोनो ता ध्यान मत कर
जनम पाय मनखे दिखा बनके मनखे
अपनआप ला स्वंभु भगवान मत कर
सता झन इहाँ तँय कभू दीन दुखिया
सता के बुरा 'ज्ञानु' पहचान मत कर
ज्ञानु
वाहहहहह!वाहहह!सर
ReplyDeleteवाह वाह
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