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Sunday 24 May 2020

गजल-दुर्गा शंकर इजारदार

गजल-दुर्गा शंकर इजारदार

बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

122 122 122 122
लगे कारखाना किसानी सिरागे ।
भरे बाँध टपटप के पानी सिरागे ।।

चकाचौंध बिल्डिंग कालोनी खातिर ।
खदर छाय सुग्घर वो छानी सिरागे ।।

मनच्यूरियन कुरकुरे चिप्स आगू ।
चना मुर्रा लाड़ू खजानी सिरागे।।

बने फेसबुक वाट्सअप दोस्त भारी ।
बदे भोजली के मितानी सिरागे ।।

बने हावै गोशाला अड़बड़ गा दुर्गा ।
घरो घर खड़े घी मथानी सिरागे ।।

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