गज़ल-अजय अमृतांसु
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान -122 122 122 122
कथा राम वैदेही संसार मा हे।
तभो झगरा सब जात परिवार मा हे।
चलाथौं बने कहिके बइठाये मोला।
नवा डोंगहा नाव मँझधार मा है।
करे कुछ नहीं देश के सेती तैंहा।
जवानी हवै फेर बेकार मा हे।
मया मा कहाँ मैं भुलागेंव ओकर ।
बचे जिनगी सिरतोन अँधियार मा हे।
बिना पइसा होवय नहीं काम भइया।
करा लव सबो काम उपहार मा हे।
अपन जान जोखिम करे हे हमेशा।
तभे तो भरोसा वफादार मा हे।
अकेला कहाँ जाबे घूमे ल तैंहा।
बना संगी साथी मजा चार मा हे।
अजय अमृतांशु
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान -122 122 122 122
कथा राम वैदेही संसार मा हे।
तभो झगरा सब जात परिवार मा हे।
चलाथौं बने कहिके बइठाये मोला।
नवा डोंगहा नाव मँझधार मा है।
करे कुछ नहीं देश के सेती तैंहा।
जवानी हवै फेर बेकार मा हे।
मया मा कहाँ मैं भुलागेंव ओकर ।
बचे जिनगी सिरतोन अँधियार मा हे।
बिना पइसा होवय नहीं काम भइया।
करा लव सबो काम उपहार मा हे।
अपन जान जोखिम करे हे हमेशा।
तभे तो भरोसा वफादार मा हे।
अकेला कहाँ जाबे घूमे ल तैंहा।
बना संगी साथी मजा चार मा हे।
अजय अमृतांशु
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
वाहहहहह!वाहहह!
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