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Saturday 2 May 2020

गजल*-मोहन वर्मा बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम

*गजल*-मोहन वर्मा

बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

122  122  122  122

बता दे बरोबर-सहीं जानकारी ।
कहाँ तँय लुका के धरे नोट-कारी ।

बिना दाँत के भोभला आदमी हा,
चबाही कहाँ ले ग सइघो सुपारी ।

बतइया कहाँ नेक रस्ता के पाबे,
निकल के रहय गा खड़े घर- दुवारी

बिदेशी सवाँगा पहिरबे कभू झन,
कुदाही परेतीन धरके  तुतारी ।

सुदामा-कन्हैया बरोबर जगत मा,
बिपत के समय मा रहय मीत-यारी ।

खुशी मा अबड़ झन उछलबे ग भइया,
सरग मा कभू नइ मिलय गा अटारी ।

कठल हाँसके देख ले रोज "मोहन"
ये तन ले भगा जाथे कतको बिमारी ।

गज़लकार- मोहन लाल वर्मा
पता -ग्राम-अल्दा, तिल्दा,
जिला-रायपुर (छत्तीसगढ़)

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