छत्तीसगढ़ी गज़ल-सुखदेव
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भले डगमगाही ग दारू पिये मा
ओ वादा निभाही ग दारू पिये मा
कदरदान के पक्ष मा चेत करके
बटन ला दबाही ग दारू पिये मा
न सब्जी हे घर मा न हे दार चाउँर
ओ आजो भुलाही ग दारू पिये मा
पुड़ी खीर चीला बरा जेवनागे
ओ पाहुन अघाही ग दारू पिये मा
गली ले बिचारा गरू प्रश्न संसद
कहाँ भेजवाही ग दारू पिये मा
अभी बाप ले कइसे बोलै उबक के
ओ बाँटा कराही ग दारू पिये मा
वसा हे न ग्लूकोज प्रोटिन विटामिन
कहाँ देंह आही ग दारू पिये मा
नशा त्याग दे तँय ह'सुखदेव'भइया
ये जिनगी नसाही ग दारू पिये मा
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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