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Sunday 24 May 2020

गजल-दुर्गाशंकर इजारदार

गजल-दुर्गाशंकर इजारदार

बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल

122 122 122 12


रहै पेट खाली का होही भजन।
अघागे खवाई ल हावै मगन ।।

अधम के कमाई ह का काम के।
बिना जेब रहिथे ग सुनले कफन ।।

गरीबी मिटाये के वादा करे ।
करे ओकरे हक मा नेता गबन ।।

अठारह बछर जब ल बेटी छुये ।
ददा दाई के तब ले होगे मरन ।।

भरे ला भरे उल्चा खाली करे ।
जमाना के अइसन हे उल्टा चलन ।।

करम ला अपन जो धरम मानथे ।
सफलता उही ला तो करथे नमन।।

अभी दोगला नेता पहिचान ले ।
चुनावी समय झन तैं करबे चयन।।

दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(छत्तीसगढ़)

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