गजल-दुर्गाशंकर इजारदार
बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
रहै पेट खाली का होही भजन।
अघागे खवाई ल हावै मगन ।।
अधम के कमाई ह का काम के।
बिना जेब रहिथे ग सुनले कफन ।।
गरीबी मिटाये के वादा करे ।
करे ओकरे हक मा नेता गबन ।।
अठारह बछर जब ल बेटी छुये ।
ददा दाई के तब ले होगे मरन ।।
भरे ला भरे उल्चा खाली करे ।
जमाना के अइसन हे उल्टा चलन ।।
करम ला अपन जो धरम मानथे ।
सफलता उही ला तो करथे नमन।।
अभी दोगला नेता पहिचान ले ।
चुनावी समय झन तैं करबे चयन।।
दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(छत्तीसगढ़)
बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
रहै पेट खाली का होही भजन।
अघागे खवाई ल हावै मगन ।।
अधम के कमाई ह का काम के।
बिना जेब रहिथे ग सुनले कफन ।।
गरीबी मिटाये के वादा करे ।
करे ओकरे हक मा नेता गबन ।।
अठारह बछर जब ल बेटी छुये ।
ददा दाई के तब ले होगे मरन ।।
भरे ला भरे उल्चा खाली करे ।
जमाना के अइसन हे उल्टा चलन ।।
करम ला अपन जो धरम मानथे ।
सफलता उही ला तो करथे नमन।।
अभी दोगला नेता पहिचान ले ।
चुनावी समय झन तैं करबे चयन।।
दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(छत्तीसगढ़)
वाह वाह
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