गजल- अजय अमृतांशु
बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान 122 122 122 122
बने टोर जाँगर तभे दाम पाबे।
सफल होबे तैंहा तभे नाम पाबे।
हवै ब्रज निवासी किशन हा सही मा।
रहै मन में राधा तभे श्याम पाबे।
हवै मनखे सेवा धरम बड़का जानव।
सुवारथ रहै तब कहाँ राम पाबे।
कपट हे सबो कोती संसार मा जी।
बने करबे सेवा परम् धाम पाबे।
शहर कोती झन जा कमाये धमाये।
अपन गाँव मा तैं बने काम पाबे।
अजय अमृतांशु
बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
अरकान 122 122 122 122
बने टोर जाँगर तभे दाम पाबे।
सफल होबे तैंहा तभे नाम पाबे।
हवै ब्रज निवासी किशन हा सही मा।
रहै मन में राधा तभे श्याम पाबे।
हवै मनखे सेवा धरम बड़का जानव।
सुवारथ रहै तब कहाँ राम पाबे।
कपट हे सबो कोती संसार मा जी।
बने करबे सेवा परम् धाम पाबे।
शहर कोती झन जा कमाये धमाये।
अपन गाँव मा तैं बने काम पाबे।
अजय अमृतांशु
बढ़िया छत्तीसगढ़ी गज़ल अमृतांशु सर
ReplyDeleteअब्बड़ बढ़िया गजल सर जी
ReplyDeleteवाह वाह
ReplyDeleteवाहःह बहुत बढ़िया
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